गुरु नानक देव जयंती के मौके पर पाकिस्तान पहुंचे गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरुप और पालकी साहिब, देखें वीडियो
देशभर में आज गुरु नानक देव जी की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है. वाघा बार्डर के जरिए गुरु ग्रंथ साहिब जी के सरूप और पलकी साहिब को पाकिस्तान भेजा गया है, जो पाकिस्तानी सिखों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है
Guru Nanak Jayanti 2024: आज यानी 15 नवंबर को गुरु नानक देव जी की जयंती मनाई जा रही है. ये दिन सिखों के लिए काफी अहम माना जाता है. इस मौके पर गुरु ग्रंथ साहिब जी के सरूप और पालकी साहिब को वाघा बार्डर के जरिए पाकिस्तान भेजा गया. श्री गुरु नानक देव जी के सम्मान में ये ऐतिहासिक कदम उठाया गया है.
वाघा बार्डर पर ऐतिहासिक और धार्मिक पहल
इसे लेकर निरोल सेवा संगठन के प्रमुख जगदीप सिंह ने कहा कि पालकी साहिब पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की विशेष मांग पर भेजी गई. आगे कहते हैं कि यह एक धार्मिक परंपरा और भाईचारे का प्रतीक है, जो दोनों देशों के सिख समुदाय के बीच एकता को और मजबूत करेगा. इसके साथ ही उनका कहना था कि यह एक बहुत ही ऐतिहासिक और धार्मिक पहल है, जो सिखों के बीच प्रेम और सद्भाव को बढ़ावा देने का काम करेगी.
On the occasion of the Gurpurab of Sri Guru Nanak Dev Ji, Saroops of Sri Guru Granth Sahib Ji and a Palki Sahib were sent to Pakistan through the Wagah Border. Nirol Seva Organisation chief Jagdeep Singh said that the Palki Sahib was offered at the request of the Pakistan Sikh… pic.twitter.com/DuzICqzlsR
— Gagandeep Singh (@Gagan4344) November 15, 2024
दोनों देशों के बीच आपसी भाईचारे का मैसेज
इस पहल से सिख समुदाय ने भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों के लिए आपसी भाईचारे की कामना की है. वहीं, वाघा बॉर्डर पर इस कार्यक्रम का शानदार आयोजन किया गया. सबसे खास बात तो ये हैं कि पालकी साहिब और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के सरूप का पाकिस्तानी सिखों के लिए महत्व अत्यधिक है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये उनके धार्मिक अधिकारों का सम्मान और परंपराओं का पालन सुनिश्चित करता है.
देशभर में गुरु नानक देव जयंती की धूम
गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि ये सिख धर्म का एक प्रमुख त्योहार है. ये खास दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है. देशभर में इस त्योहार को बड़ हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इसके साथ ही कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.