पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर से भारतीय विदेश नीति की तारीफ की है। पूर्व पीएम ने कहा कि भारत रूस से सस्ते दामों में कच्चा तेल ले रहा है, ये भारतीय विदेश नीति का कमाल है। उनकी तरह हम भी चाहते थे कि पाकिस्तान भी रूस से सस्ता कच्चा तेल आयात करें, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, क्योंकि हमारी सरकार गिरा दी गई।
इमरान खान ने देश में गंभीर आर्थिक संकट के लिए शहबाज सरकार को दोषी ठहराया है। खान ने कहा कि वह इस बात से परेशान हैं कि उनका देश सस्ते दामों पर रूस से कच्चा तेल नहीं खरीद पाया है। इमरान खान ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा कि "हम भारत की तरह सस्ता रूसी कच्चा तेल प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। क्योंकि दुर्भाग्य से मेरी सरकार अविश्वास प्रस्ताव लाकर गिरा दी गई।"
इमरान खान पाकिस्तान में गंभीर आर्थिक संकट से परेशान है। इसके लिए उन्होंने मौजूदा सरकार को दोषी करार दिया है। गौरतलब हो कि पिछले साल फरवरी 2022 में इमरान खान ने मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई थी जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ था। इमरान की रूस यात्रा को लेकर पश्चिमी देशों की मीडिया ने पाकिस्तान को निशाने पर लिया था। जानकारों का कहना है कि अगर इमरान खान उस दौरान रूस नहीं जाते तो यह उनके लिए अच्छा हो सकता था, क्योंकि इमरान के रूस दौरे से अमेरिका नाराज हो गया था। इसके बाद यह दबाब इतना अधिक बढ़ गया कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ ही इमरान के खिलाफ हो गए। इसके बाद इमरान खान को सत्ता से बेदखल कर दिया है। पीएम की कुर्सी छिनने के बाद इमरान खान ने कहा कि जो मेरे साथ हुआ, उसमें आर्मी चीफ बाजवा की साजिश थी।
इमरान खान बार बार भारत की तारीफ कर रहे है। इससे पहले भी कई बार उन्होंने भारतीय विदेश नीति और मोदी सरकार की तारीफ की है। इमरान खान अपने ज्यादातर भाषणों में भारत और मोदी सरकार का जिक्र करते रहते है। इससे पहले इमरान खान ने भारतीय अर्थव्यस्था की तारीफ करते हुए कहा था कि "दुनिया में नवाज के अलावा किसी और नेता के पास अरबों की संपत्ति नहीं है। मुझे एक ऐसे देश के बारे में बताएं जिसके प्रधानमंत्री या नेता के पास देश के बाहर अरबों की संपत्ति हो। यहां तक कि हमारे पड़ोसी देश में भी भारत के बाहर पीएम मोदी की कितनी संपत्ति है।" इमरान खान ने रूस से सस्ता तेल खरीदने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले की तारीफ करते हुए कह कि "क्वाड का हिस्सा होने के बावजूद भारत ने अमेरिकी दबाव का सामना किया और अपने लोगों की सुविधा के लिए रूस से सस्ता तेल खरीदा। हमारी सरकार भी ऐसी स्वतंत्र विदेश नीति के जरिए तेल हासिल करने की कोशिश कर रही थी।" First Updated : Monday, 10 April 2023