अफगानिस्तान के इस कदम से पाकिस्तान को लगेगी मिर्ची, दुबई में बैठकर भारत के साथ तैयार किया प्लान
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस दौरान अफगानिस्तान में भारत की सुरक्षा संबंधी चिंताओं, निकट भविष्य में दोनों देशों के बीच डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर विचार करने की जरूरत, पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के पुनर्वास में मदद पर चर्चा की गई.
अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद पहली बार भारत की ओर से एक हाई लेवल-डेलिगेशन ने तालिबान नेताओं के साथ बैठक की है. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने दुबई में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की. भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक तालिबान ने भारत की सुरक्षा को लेकर संवेदनशीलता व्यक्त की है. ये मुलाकात ऐसे समय हुई है जब अफगानिस्तान का पाकिस्तान के साथ तनाव चरम पर है. दूसरी तरफ पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने में लगा है. ऐसे समय में भारत और तालिबान का साथ आना पाकिस्तान के लिए चिंता का सबब बन सकता है.
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस दौरान अफगानिस्तान में भारत की सुरक्षा संबंधी चिंताओं, निकट भविष्य में दोनों देशों के बीच डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर विचार करने की जरूरत, पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के पुनर्वास में मदद पर चर्चा की गई. लेकिन दो बड़े मुद्दे जिन पर चर्चा हुई, वे थे ईरान के चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल और दोनों देशों के बीच क्रिकेट.
मंत्रालय ने बयान में कहा कि अफगान सरकार ने भारत की सुरक्षा चिंताओं की जरूरतों पर गौर किया. भारत की सबसे बड़ी चिंता यही रही है कि अफगानिस्तान की जमीं से भारत विरोधी आतंकी समूहों को पनपने ना दिया जाए. तालिबान ने जोर दिया कि अफगानी धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नही होने दिया जाएगा. इस दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भारत और अफगानिस्तान के लोगों की ऐतिहासिक दोस्ती पर जोर दिया. दोनों पक्षों ने भारत सरकार की ओर से चलाए गए मानवीय सहायता प्रोग्राम का मूल्यांकन किया. अफगानी मंत्री ने इसके लिए भारत सरकार की सराहना भी की.
जारी रखेगा भारत अपनी मदद
भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते लंबे समय से दोस्ताना रहे हैं. भारत ने बड़े पैमाने पर अफगानिस्तान में निवेश किया है और वहां की संसद समेत कई सरकारी इमारत भारत ने बनाई है. 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद भारत ने अपना अफगान दूतावास बंद कर दिया था. दुनिया के दूसरे देशों की तरह भारत ने भी अभी तक अफगान सरकार को मान्यता नहीं दी है, लेकिन इस मुलाकात के बाद भविष्य में दोनों सरकारों के करीब आने की उम्मीद जताई जा रही है.
भारत करता रहा है अफगानिस्तान की मदद
भारत ने पिछले कुछ सालों में अफगानिस्तान को कई मानवीय सहायता पहुंचाई है, जिसमें 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं, 300 टन दवाएं, 27 टन भूकंप बचाव सामग्री, 40 हजार लीटर कीटनाशक, 10 करोड़ पोलियो डोज, 1.5 मिलियन कोविड-19 वैक्सीन डोज, 11 हजार नशीली दवाओं के इलाज के लिए हाइजीन किट्स और 1.2 टन स्टेशनरी किट्स शामिल हैं.
यह बैठक ऐसे समय पर हुई है, जब भारत ने अफगानिस्तान पर पाकिस्तान के हवाई हमले की निंदा की है, जिसमें कई लोग मारे गए थे. भारत सरकार ने कहा था कि पाकिस्तान की आदत है कि वह अपनी आंतरिक असफलता का ठीकरा अपने पड़ोसियों पर फोड़ता है, ये उसकी पुरानी आदत है.