Pakistani commentators On Indian Muslim: हाल ही में दिल्ली के इंद्रलोक इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग सड़क पर नमाज़ अदा कर रहे थे. इस दौरान बीच नमाज़ में सजदा करते एक व्यक्ति को एक पुलिस वाले ने लात मार दी जिसके बाद मुस्लिम संप्रदाय काफी गुस्साए हुए थे. इस घटना को लेकर पाकिस्तानी कमेंटेटर ने भारतीय मुसलमानों का मजाक उड़ाया है.
दरअसल, इस्लाम धर्म में सड़क पर नमाज पढ़ना मना है, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि, जब कोई सजदा कर रहा हो उसे बेदर्दी से लात मार दी जाए. इसी मुद्दे पर चर्चा करते हुए पाकिस्तानी कमेंटेटर ने भारतीय मुसलमानों का जमकर मजाक उड़ाया है. पाकिस्तानी कमेंटेटर ने यहां तक कह दिया है कि, भारतीय मुसलमानों को इस्लाम धर्म का मतलब ही नहीं पता.
'भारतीय मुसलमानों को धर्म का मतलब ही नहीं पता'
पाकिस्तानी कमेंटेटर ने बात-चीत के दौरान भारतीय मुसलमानों द्वारा सड़को पर नमाज पढ़ने को लेकर कहा कि इस्लाम की आचार संहिता के अनुसार सड़क पर नमाज़ गैर इस्लामी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस्लाम धर्म की मान्यता है कि किसी मुसाफिर को कष्ट न हो. दूसरी बात यह कि नमाज़ एक साफ-सुथरी जगह पर ही हो सकती है, नापाक सड़क पर नहीं. ऐसा नहीं कि कहीं भी खड़े हो कर नमाज़ पढ़ लें.
पाकिस्तान की प्रमुख संपादिका, आरज़ू काज़मी ने कहा कि किसी भी अरब देश या पाकिस्तान में भी सड़क पर नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती है क्योंकि यह नमाज़ अल्लाह को भी स्वीकार नहीं होती, यह स्थिति केवल उन देशों में होती है जहां लोगों को इस्लाम के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती, जैसे कि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि. वैसे अरब देशों जैसे सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत आदि में भी अज़ान के समय लाउडस्पीकर पर अजान नहीं की जाती, सड़क पर नमाज़ की अनुमति नहीं होती.
दिल्ली में हुए घटना को लेकर पाकिस्तान संपादिका, आरज़ू काज़मी ने कहा कि पहले पुलिस ने नमाजियों को समझाने का प्रयास किया कि सड़क पर नमाज़ न पढ़ें, लेकिन वे नहीं माने. फिर भी पुलिस वालों को नमाजियों के साथ ऐसा अशोभनीय व्यवहार नहीं करना चाहिए था. अगर नमाज़ी न मानते तो पुलिस वालों को नमाज़ के अंत में उन्हें एक-एक गुलाब का फूल देकर प्यार से समझाना चाहिए था कि अगले जुम्मे से सड़क पर नमाज़ न पढ़ें. वैसे ही, मस्जिद और नमाज़ के विषय में कुरान और हदीस में स्पष्ट कहा गया है कि पांच वक्त की नमाज़ अत्यंत आवश्यक है और जिस मस्जिद में नमाज़ पढ़ी जाए, वह भी विवादित न हो जैसे बाबरी मस्जिद बना था. First Updated : Wednesday, 13 March 2024