पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की बांग्लादेश में बढ़ी चहलकदमी, भारत के लिए सिर दर्द
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI (इंटर-सर्विसेज़ इंटेलिजेंस), बांग्लादेश में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना बना रही है. यह भारत के लिए एक गंभीर चिंता का कारण बन सकती है. भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में पहले ही तनाव है और ISI की बढ़ी हुई गतिविधियां इसे और बिगाड़ सकती हैं.
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Pakistan- Bangladesh Relations: हाल ही में ISI के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद असीम मलिक की अगुवाई में एक चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश का दौरा किया. इस दौरान, ISI ने बांग्लादेश के विभिन्न रणनीतिक क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना पर चर्चा की. यह क्षेत्र मुख्य रूप से बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी इलाकों जैसे कोक्स बाजार, उखिया, टेकनाफ, मोलवी बाजार, हबीगंज और शेरपुर शामिल हैं. ISI के इन कदमों से भारत की उत्तर-पूर्वी सीमाओं के लिए खतरा बढ़ सकता है, खासकर उन राज्यों के लिए जो पहले से ही अलगाववादी आंदोलनों से जूझ रहे हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि ISI बांग्लादेश की सेना के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है, जिनके संबंध कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों से हैं. इन अधिकारियों में बांग्लादेश सेना के लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान और मेजर जनरल मीर मुशफीकर रहमान शामिल हैं. इन अधिकारियों के ISI के साथ घनिष्ठ संबंध होने के कारण, भारत को अपनी सुरक्षा के लिए चिंता है, क्योंकि यह पाकिस्तानी एजेंसी बांग्लादेश के अंदर अपनी गतिविधियों को बढ़ा सकती है, जो भारत के लिए खतरा साबित हो सकता है.
भारत के खिलाफ विद्रोही समूहों को समर्थन
यह स्थिति बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच एक नए प्रकार के सहयोग को दर्शाती है, जो भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. खासकर, पाकिस्तान की सेना की बांग्लादेश में मौजूदगी 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम से पहले के समय से जुड़ी हुई है, जब पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ विद्रोही समूहों को समर्थन दिया था. अब, ISI का इरादा उन इलाकों में फिर से अपनी गतिविधियां बढ़ाने का है, जो भारतीय उत्तर-पूर्वी राज्यों के नजदीक हैं और जहाँ विद्रोहियों का प्रभाव है.
बढ़ सकता है भारत-बांग्लादेश तनाव
इस बढ़ती ISI गतिविधि को लेकर भारत में चिंता गहरी हो गई है, और यह स्पष्ट संकेत है कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव और बढ़ सकता है. बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और हाल के राजनीतिक बदलावों के कारण, दोनों देशों के रिश्तों में पहले से ही खटास आई हुई है.
इस स्थिति में, भारत को अपनी सुरक्षा रणनीतियों को मजबूत करने की आवश्यकता है, क्योंकि ISI की बांग्लादेश में बढ़ती उपस्थिति भारत के लिए एक गंभीर खतरा साबित हो सकती है.