पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने सेना को फटकारा! सरकार से कहा, आर्मी व्यापार के बजाय रक्षा मामलों पर ध्यान केंद्रित करें

Pakistan News: पाकिस्तान आर्मी की मोनोपली को लेकर वहां की शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की है, और कहा कि सरकार यह सुनिश्चि करें और बताए कि सेना रक्षा संबंधित मामले के अलावा आर्थिक क्षेत्र में क्यों दखलअंदाजी करती है.

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Pakistan News: पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने तेजी से होती शक्तिशाली सेना की आर्थिक गतिविधियों दखलअंदाजी को लेकर कड़ी आलोचना की है. इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि सशस्त्र बल व्यावसायिक उद्यमों के बजाय रक्षा संबंधी मामलों में अपना ध्यान केंद्रित करें. यह आश्वासन पाकिस्तान के सीजेपी काजी फ़ैज़ ईसा ने मांगा है. जो व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए सैन्य भूमि के उपयोग की जांच करने वाले एक मामले में तीन-न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व कर रहे थे.

संवैधानिक क्षेत्र में काम करना चाहिए: पाक SC 

पाकिस्तान के डॉन न्यूज पेपर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि देश के सभी सरकारी संस्थानों को अपने संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहने चाहिए. यह सुनवाई उस मामले में चल रही थी जिसमें पूर्व सीजेपी गुलज़ार अहमद द्वारा 2021 में राची में छावनी बोर्ड की भूमि के कथित अवैध उपयोग को लेकर याचिका दायर की गई थी, जिसे रणनीतिक उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित किया गया था लेकिन बाद में वाणिज्यिक लाभ के लिए यूज किया जा रहा था. 

कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने दिया ये जवाब 

न्यायमूर्ति ईसा ने बुधवार को खेद प्रकट करते हुए कहा कि सेना ने सैन्य भूमि पर विवाह हॉल स्थापित किए हैं और फिर पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान से आश्वासन दिया कि सेना व्यवसाय मामलों में में संलग्न नहीं होगी. ईसा ने पूछा कि, क्या तुम्हें यह आश्वासन मिल सकता है? न्यायमूर्ति ने महान्यायवादी से कहा कि प्रत्येक संस्थान को अपने संवैधानिक अधिकार में रहकर काम करना चाहिए. फिर अटॉर्नी जनरल ने माना कि हर किसी को अपने क्षेत्र में रहकर काम करना चाहिए. 

जिस जमीन पर हुआ विवाद, वह बोर्ड की थी

इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) के वकील ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि जिस इमारत से विवाद हुआ वह बोर्ड की थी क्योंकि जिस व्यक्ति को जमीन आवंटित की गई थी, उसने इसे फर्जी कागजात पर बेच दिया जिसके बाद पांच मंजिला इमारत बनाई गई, भूमि पर बनाया गया था. न्यायमूर्ति मुहम्मद अली मज़हर ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जब इमारत का निर्माण किया जा रहा था तो क्या ईटीपीबी एक मूकदर्शक बना हुआ था. मुख्य न्यायाधीश ईसा ने कहा कि सिंध बिल्डिंग कंट्रोल अथॉरिटी की भागीदारी के बिना यह संभव नहीं होता, अदालत ने कहा कि कराची रजिस्ट्री की संपत्ति का ऑडिट संघीय राजस्व बोर्ड द्वारा किया जाना चाहिए. First Updated : Friday, 16 February 2024