यूरोपीय संघ की एजेंसी फॉर असाइलम (ईयूएए) द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल पाकिस्तानियों ने यूरोपीय देशों में शरण के लिए लगभग 28,000 आवेदन किए थे. अक्टूबर 2022 की तुलना में इस साल शरण आवेदन कम हुए हैं. अक्टूबर 2022 में यह संख्या 3,400 थी, जो अक्टूबर 2023 में घटकर 1,900 हो गई. इटली पाकिस्तानियों के लिए सबसे प्रमुख शरण स्थल बनकर उभरा है, उसके बाद फ्रांस, ग्रीस और जर्मनी का स्थान है.
ईयू प्लस देशों ने इन आवेदनों पर करीब 20,000 निर्णय दिए, जिनमें से सिर्फ 12 प्रतिशत को शरण या सहायक सुरक्षा दी गई. इस बीच, अक्टूबर 2023 तक लगभग 34,000 आवेदन लंबित हैं.
रिपोर्ट में पाकिस्तान की राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति का विस्तृत विश्लेषण किया गया है. इसमें प्रमुख नेताओं की भूमिका, न्यायपालिका का प्रभाव और कमजोर समूहों के साथ बुरा व्यवहार पर चर्चा की गई है. रिपोर्ट ने पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों के साथ हो रही समस्याओं और पाकिस्तान की तस्करी केंद्र के रूप में भूमिका को भी उजागर किया है.
पाकिस्तान में विशेष रूप से खैबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में अक्टूबर 2022 के बाद हिंसा बढ़ी है. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे विद्रोही समूहों ने अपनी गतिविधियों में वृद्धि की है, जबकि इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) ने भी अपने हमले बढ़ाए हैं, और अब यह एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल भी कर रहे हैं.
रिपोर्ट में पाकिस्तान की कमजोरियों को भी उजागर किया गया है, जिसमें जबरन श्रम, जबरन विवाह और मानव तस्करी जैसी समस्याएं शामिल हैं. पाकिस्तान मानव तस्करी के लिए एक बड़ा ट्रांजिट पॉइंट बन गया है, लेकिन इसके बावजूद कमजोर कानून प्रवर्तन, भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इन अपराधों से निपटने में दिक्कत हो रही है.
बंधुआ मजदूरी, यानी कर्ज के बदले काम करने की प्रथा, पाकिस्तान में एक बड़ी समस्या है. लगभग 3 से 4.5 मिलियन लोग इस बुराई का शिकार हो रहे हैं. उच्च-ब्याज वाले ऋण, जिन्हें पेशगी या बेगार कहा जाता है, इन लोगों के लिए अपनी देनदारियों को चुकता करना लगभग असंभव बना देता है, जिससे शोषण का चक्र चलता रहता है. कानूनों के ठीक से लागू न होने के कारण अधिकारियों को इन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में समस्या हो रही है.
पाकिस्तान इस समय तीन मिलियन से अधिक अफगान शरणार्थियों का मेज़बान है. पाकिस्तान सरकार की अवैध विदेशी रिवर्जन योजना (आईएफआरपी) के तहत लगभग 738,000 अफगान शरणार्थियों को वापस भेजा गया है, जिनमें से कई को गिरफ्तारी और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, जिससे अफगान समुदाय के लिए माहौल और भी शत्रुतापूर्ण हो गया है.
रिपोर्ट ने पाकिस्तान की विविध समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जिनमें सुरक्षा, प्रवासन और मानव तस्करी जैसे मुद्दे शामिल हैं. इन समस्याओं से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए मजबूत शासन, कानून प्रवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है. First Updated : Friday, 20 December 2024