Paul Alexander Death: लोहे के फेफड़े के अंदर 70 साल बिताने वाले शख्स का निधन, पोलियो से जूझ रहे थे आयरन लैंग मैन

Paul Alexander Death: लोहे के फेफड़े के अंदर 70 साल बिताने वाले पॉल अलेक्जेंडर अब इस दुनिया में नहीं रहे. रिपोर्ट के मुताबिक पॉल 6 साल की उम्र से पोलियो से पीड़ित थे.

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Paul Alexander Passed away: पोलियो पॉल के नाम से मशहूर पॉल रिचर्ड अलेक्जेंडर अब इस दुनिया में नहीं रहे. बीते सोमवार को अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया है. पॉल अलेक्जेंडर, एक ऐसे व्यक्ति थे जो बचपन में पोलियो से पीड़ित होने के बाद लोहे के फेफड़े में जीवन बिता रहे थे. पॉल के करीबी दोस्त डेनियल स्पिंक्स उनकी ने उनकी मौत की जानकारी दी है. डेनियल ने कहा कि 78 वर्ष की आयु में डलास अस्पताल में पोलियो पॉल की मृत्यु हो गई है.

खुद से सांस नहीं ले पाते थे पॉल

जब अलेक्जेंडर 6 साल के थे तब वह गर्मियों में टेक्सास में रह रहे थे. उस दौरान वह पोलियो से ग्रसित हो गए थे. पोलियो के कारण अलेक्जेंडर के  गर्दन के नीचे से लकवा मार दिया जिस वजह से उन्हें खुद से सांस लेने में दिक्कत आने लगी. उसके बाद उन्हें टेक्सास के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने पॉल को लोहे के फेफड़े में डाल दिया. डॉक्टर ने कहा कि जब तक पॉल जीवित रहेंगे, यांत्रिक फेफड़े के अंदर ही रहना पड़ेगा. उसके बाद वह लगभग 70 वर्ष तक लोहे के फेफड़े के अंदर रहे.

लोहे के बॉक्स में बंद रहता था पॉल का शरीर

पॉल की स्थिति को देखते हुए उनके लिए लोहे की मशीन बनाई जो उस समय एक अत्याधुनिक तकनीक थी. जिस मशीन के अंदर पॉल का शरीर रहता था वह एक सिलेंडर की तरह था जिसमें बस उनका सिर बाहर की तरफ दिखता था. इसी मशीन के अंदर पॉल 78 साल तक जीवित रहने में कामयाब हुए. पॉल के निधन पर उनके भाई फिलिप ने लोगों के एक खास संदेश लिखा है. उन्होंने कहा है कि मैं उन सभी लोगों का आभारी हूं जिन्होंने मेरे के भाई के इलाज के लिए दान दिया है.

ऐसी हालत में भी नहीं झुके पॉल, लिखी आत्मकथा

लोहे के फेफड़े के अंदर 70 साल बिताने वाले पॉल अलेक्जेंडर अपने हालात को कोसने के बजाय अपने अंतिम समय तक लड़े. उन्होंने सांस लेने की तकनीकी सीखी जिससे उन्हें एक दिन में कुछ घंटो के लिए मशीन से बाहर आने की अनुमति मिलती थी. बीमारी के दौरान ही पॉल ने अपनी ग्रैजुएशन भी पूरी की और कानून की डिग्री हासिल की. उन्होंने 30 साल तक कोर्ट रूम वकील के पद पर काम किया. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी आत्मकथा भी लिखी है जिसका नाम थ्री मिनट्स फॉर ए डॉग: माई लाइफ इन ए आयरन लंग है. पॉल लिखने के लिए कीबोर्ड पर मुंह में रखी प्लास्टिक की छड़ी से जुड़े पेन का उपयोग करके अपनी लेखन प्रक्रिया का प्रदर्शन किया था. First Updated : Thursday, 14 March 2024