क्या है बेबी फीट, पृथ्वी पर लौटते ही अंतरिक्ष यात्रियों को करना पड़ रहा है सामना
अंतरिक्ष यात्रा एक अद्भुत अनुभव हो सकता है, लेकिन यह शरीर पर भारी प्रभाव डालता है. अंतरिक्ष में शारीरिक स्थिति धरती से बिलकुल अलग होती है, और जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटते हैं, तो उन्हें कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. यह चुनौतियाँ ऐसी होती हैं, जो पहले कभी महसूस नहीं की जातीं, और इनका सामना करने के लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है.

अंतरिक्ष यात्रा एक अद्भुत अनुभव है, लेकिन जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर वापस लौटते हैं, तो उन्हें कुछ अप्रत्याशित शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. एक ऐसी चुनौती है जिसे "बेबी फीट" (Baby Feet) कहा जाता है. यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक वजनहीन वातावरण में रहते हैं और पृथ्वी पर लौटने के बाद उनके शरीर को फिर से गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने में समय लगता है.
"बेबी फीट" वह स्थिति है, जब अंतरिक्ष यात्रियों के पैरों की त्वचा, खासकर तलवे, नर्म और मुलायम हो जाती है. अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के बिना, पैरों के तलवों पर दबाव नहीं पड़ता, जिससे उनके पैरों की त्वचा की परतें उधड़ी नहीं होतीं और वे मुलायम हो जाती हैं. जब ये यात्री पृथ्वी पर लौटते हैं, तो उनका शरीर एक बार फिर से गुरुत्वाकर्षण का सामना करता है, और यह शारीरिक बदलाव उन्हें असहज महसूस करा सकता है.
गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में बदलाव
अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से शरीर के कई हिस्सों में बदलाव आ जाते हैं. हड्डियाँ कमजोर होती हैं, मांसपेशियाँ सिकुड़ती हैं, और हृदय भी कमज़ोर हो सकता है. "बेबी फीट" इसका सिर्फ एक उदाहरण है, जो यह दर्शाता है कि शरीर को पुनः गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने में समय और ध्यान की आवश्यकता होती है. अंतरिक्ष यात्री अपने पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों में शारीरिक बदलावों को ठीक करने के लिए एक लम्बी पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरते हैं.
सही उपचार और पुनर्वास
पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष शारीरिक प्रशिक्षण और उपचार की आवश्यकता होती है. यह पुनर्वास प्रक्रिया उनके शरीर को सामान्य रूप से कार्य करने के लिए तैयार करती है, जिससे वे अपनी यात्रा के दौरान हुए शारीरिक बदलावों को ठीक कर सकें. इस प्रकार, पृथ्वी पर लौटते समय अंतरिक्ष यात्रियों को 'बेबी फीट' जैसी शारीरिक चुनौतियाँ सामना करनी पड़ती हैं, जो अंतरिक्ष यात्रा के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का परिणाम हैं.