मार्शल लॉ के विवाद में राष्ट्रपति यून सूक येओल गिरफ्तार, सरकार की मुश्किलें बढ़ी
दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक येओल की गिरफ्तारी ने पूरे देश को हिला दिया है. यह गिरफ्तारी उनके द्वारा 3 दिसंबर को मार्शल लॉ लागू करने के बाद हुई. इस घोषणा से दक्षिण कोरिया में बड़े पैमाने पर राजनीतिक उथल-पुथल मच गई थी, और देश के नागरिकों में चिंता की लहर दौड़ गई.
दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक येओल की गिरफ्तारी ने देश को हिला दिया है. यह गिरफ्तारी 3 दिसंबर को उनके द्वारा मार्शल लॉ लागू करने के बाद हुई, जिससे देश में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई. इस घोषणा ने दक्षिण कोरियाई नागरिकों में चिंता और भय का माहौल बना दिया, और 14 दिसंबर को संसद ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने का निर्णय लिया.
बता दें कि दक्षिण कोरिया के महाभियोग लगाए गए राष्ट्रपति यूं सूक येओल को बुधवार को मार्शल लॉ लागू करने के असफल प्रयास के कारण गिरफ्तार किया गया है. इससे पहले सैकड़ों भ्रष्टाचार विरोधी जांचकर्ताओं और पुलिस ने सप्ताह भर से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए उनके राष्ट्रपति परिसर पर छापा मारा था.
मार्शल लॉ से शुरू हुई राजनीति की हलचल
यून सुक येओल ने 3 दिसंबर को मार्शल लॉ का एलान किया था, जिससे देश में अस्थिरता फैल गई. इसके बाद, 14 दिसंबर को संसद ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर मतदान किया. अब संवैधानिक न्यायालय इस महाभियोग पर विचार कर रहा है.
हाईवोल्टेज ड्रामा और गिरफ्तारी
गिरफ्तारी के दिन, 3,000 से ज्यादा पुलिस और जांच अधिकारी यून सुक येओल के आवास के पास तैनात थे. उनके समर्थक और सुरक्षाबल आपस में भिड़ गए, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई. हालांकि, इस ड्रामे के बीच राष्ट्रपति को गिरफ्तार कर लिया गया.
राष्ट्रपति पर पहली बार आरोप
यून सुक येओल के खिलाफ यह गिरफ्तारी वारंट किसी भी मौजूदा दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ जारी किया गया पहला वारंट था. उनके वकील इस गिरफ्तारी को अवैध मानते हुए इसे एक साजिश बताते हैं.
अब, दक्षिण कोरिया की संवैधानिक न्यायालय पर इस मामले का अंतिम फैसला आने का इंतजार है, जिससे यह तय होगा कि यून को पद से स्थायी रूप से हटाया जाएगा या नहीं.