Russia-Ukraine war: 19 नवंबर 2024 को रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने 1000 दिन पूरे कर लिए. इस युद्ध का असर ने केवल यूरोप, बल्कि पूरी दुनिया में पड़ा है. यह संघर्ष 21वीं सदी का सबसे रक्तरंजित युद्ध बन चुका है, जिसमें लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. जंग की वजह से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं और सामाजिक ढांचे बुरी तरह से नष्ट हुए हैं.
वॉल स्ट्रीट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध से जुड़े लोगों ने बताया है कि इस जंग में 80 हजार से अधिक यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं जबिक 4 लाख से अधिक घायल हुए हैं. वहीं रूस में मौतों का आंकड़ा इससे अधिक बताया जा रहा है. रिपोर्ट की मानें तो इस जंग में करीब 2 लाख यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं और 4 लाख से अधिक घायल हुए हैं. युद्ध की वजह से हो रही मौतों के कारण दोनों देशों की जनसंख्या घट गई है.
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में 1 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिकों की मौत की बात कही गई है. इसके साथ ही लाखों लोग घायल हुए हैं. यह आंकड़ा अब तक के सबसे भयंकर संघर्षों में से एक माना जा रहा है. इस युद्ध ने दोनों देशों की आर्थिक स्थिति को भी कमजोर करके रख दिया है. रूस और यूक्रेन दोनों देशों की अर्थव्यवस्था भारी संकट से गुजर रही है. यूक्रेन में बुनियादी ढांचे नष्ट हो गए हैं. दूसरी तरफ रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों ने उनकी आर्थिक स्थिति को कमजोर किया है.
यूक्रेन में लाखों नागरिक अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हो गए हैं और शरणार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है. कई देशों ने यूक्रेनी शरणार्थियों को अपने यहां स्थान दिया है, लेकिन इसका दबाव भी वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, युद्ध के कारण हर दिन औसतन 100 से अधिक नागरिकों की मौत हो रही है और कई शहरों को पूरी तरह से तबाह कर दिया गया है.
यह युद्ध न केवल रूस और यूक्रेन बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का कारण बन गया है. वैश्विक ऊर्जा संकट, खाद्य सुरक्षा संकट और राजनीति में अनिश्चितता बढ़ी है. यूरोपीय देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को सैन्य सहायता देना जारी रखा है. इससे वैश्विक राजनीति में भी भारी बदलाव आया है.
भारत ने इस युद्ध के दौरान तटस्थ रुख अपनाया है, लेकिन उसने शांति और वार्ता के माध्यम से समाधान खोजने की आवश्यकता पर जोर दिया है. भारत का ध्यान क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा स्थिति पर है, और उसने कई बार युद्धविराम की अपील की है. फिलहाल, रूस-यूक्रेन युद्ध के भविष्य पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है, लेकिन दोनों देशों के बीच संघर्ष जारी है. अगर यह युद्ध और लंबे समय तक चलता है, तो इसका प्रभाव और भी गंभीर हो सकता है. दोनों पक्षों के बीच शांति समझौता एक बड़ा सवाल बनकर खड़ा है, क्योंकि इसके लिए दोनों देशों की इच्छाशक्ति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. First Updated : Tuesday, 19 November 2024