S Jaishankar on India China relations: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में आयोजित 'काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशंस' के एक कार्यक्रम में भारत-चीन संबंधों पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच रिश्ते कभी आसान नहीं रहे है. जयशंकर ने कहा कि जब मैं 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट के ठीक बाद 2013 तक वहां (चीन) का राजदूत था. दोनों देशों के रिश्तों में परेशानियां रही है.
काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशंस में चर्चा के दौरान एस जयशंकर ने कहा, "चीन के साथ समझौता करने का एक तथ्य ये है कि वो आपको कभी नहीं बताते कि वो जो कर रहे हैं, उसके पीछे वजह क्या है. आपको खुद ही समझना होगा कि आखिर क्या वजह हो सकती है." उन्होंने कहा, "मैं 2009 में, वैश्विक वित्तीय संकट के ठीक बाद 2013 तक वहां (चीन) का राजदूत था. मैंने चीन में सत्ता परिवर्तन देखा और फिर मैं अमेरिका आ गया. ये कभी भी आसान रिश्ता नहीं रहा."
विदेश मंत्री ने कहा, "1962 में युद्ध हुआ, उसके बाद भी सैन्य टकराव हुए लेकिन 1975 के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर कोई सैन्य हिंसात्मक झड़प या हताहत होने की घटना नहीं हुई." एस जयशंकर से हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधि को लेकर सवाल पूछा गया. इस पर उन्होंने कहा कि हमारे लिए तैयारी करना ही सबसे उचित है.
एस जयशंकर ने कहा, "पिछले 20-25 सालों में हिंद महासागर में चीनी नौ सैनिकों की उपस्थिति और गतिविधि में लगातार वृद्धि हुई है. जब आपके पास बहुत बड़ी नौसेना होगी तो वह नौसेना कहीं न कहीं अपनी तैनाती के रूप में दिखाई देगी. हमने चीन की पोर्ट पर गतिविधि और निर्माण कार्य देखा है. जिनमें ग्वादर, हंबनटोटा पोर्ट और अन्य पोर्ट शामिल हैं. हम स्पष्ट रूप से इन्हें सुरक्षा के लिहाज से बहुत सावधानी से देखते हैं. हमारे लिए बढ़ती चीनी उपस्थिति के लिए तैयारी करना ही सबसे उचित है." First Updated : Wednesday, 27 September 2023