Saudi Arabia: सऊदी अरब में इस साल 2024 में 100 से ज्यादा विदेशियों को मौत की सजा दी गई है, जो पिछले सालों से कहीं ज्यादा है. यह आंकड़ा इस साल अब तक 101 तक पहुंच चुका है, जिसमें 16 नवंबर को यमनी नागरिक को ड्रग्स तस्करी के आरोप में सजा-ए-मौत दी गई. मानवाधिकार संगठन इस आंकड़े को अभूतपूर्व मान रहे हैं और इसे सऊदी अरब के दंड कानूनों पर एक गंभीर सवाल भी उठा रहे हैं.
तीन गुना बढ़ा विदेशियों को फांसी का आंकड़ा
2024 में फांसी पाने वाले विदेशी नागरिकों की संख्या पिछले तीन सालों में तीन गुना बढ़ी है. 2022 और 2023 में क्रमशः 34 विदेशियों को फांसी दी गई थी, जो इस साल बढ़कर 100 से ज्यादा हो गई. यूरोपियन-सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (ESOHR) के अनुसार, यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. संगठन के कानूनी निदेशक ताहा अल-हज्जी का कहना है कि यह पहली बार है जब सऊदी अरब ने एक ही साल में इतनी बड़ी संख्या में विदेशियों को फांसी दी है.
सऊदी अरब पर बढ़ी अंतरराष्ट्रीय आलोचनाएं
सऊदी अरब को अपने कठोर दंड कानूनों के लिए अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. अमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, 2023 में सऊदी अरब ने चीन और ईरान के बाद तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा मौत की सजा दी. सऊदी अरब के कड़े दंड नियमों पर कई मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाए हैं. सितंबर में एक रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने 2022 में 196 फांसी का आंकड़ा पार किया, जो पिछले तीन दशकों का सबसे अधिक था.
क्या कारण है इस वृद्धि का?
इस साल विदेशियों के लिए मौत की सजा पाने वालों में पाकिस्तान, यमन, सीरिया, नाइजीरिया, मिस्र, जॉर्डन और इथियोपिया जैसे देशों के नागरिक शामिल हैं. इन मामलों में से ज्यादातर ड्रग्स तस्करी से जुड़े हुए हैं. 2022 में सऊदी अरब ने ड्रग्स अपराधों पर फांसी की सजा के लिए तीन साल का प्रतिबंध हटा दिया था, जिससे इस साल इन सजा के मामलों में काफी वृद्धि देखी गई. अब तक 92 ड्रग्स से संबंधित मामलों में फांसी दी जा चुकी है, जिनमें से 69 विदेशी नागरिक हैं.
क्या स्थिति है विदेशी कैदियों की?
ESOHR के अनुसार, सऊदी अरब में विदेशी कैदियों को न्याय मिलने में काफी कठिनाइयां होती हैं. अक्सर इन कैदियों को बड़े ड्रग तस्करों का शिकार बनाया जाता है और उनकी गिरफ्तारी से लेकर फांसी तक कई उल्लंघन होते हैं. इसके साथ ही विदेशी नागरिकों के परिवारों में डर और चिंता का माहौल बना हुआ है, क्योंकि उन्हें कभी भी मौत की सजा दी जा सकती है.
सऊदी अरब में सजा-ए-मौत की इस बढ़ती संख्या को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव और आलोचनाएं लगातार बढ़ रही हैं. मानवाधिकार संगठन और विदेशी सरकारें इस मामले में सऊदी अरब से कड़े कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. इसके बावजूद, सऊदी अरब अपने कड़े दंड कानूनों को बनाए रखने पर जोर दे रहा है और इसे दुनिया भर में चर्चा का विषय बना दिया है. First Updated : Sunday, 17 November 2024