सोने की खदान में मौत का मंजर... 60 शव मिले, अभी भी 100 से ज्यादा मजदूरों के फंसे होने की आशंका

दक्षिण अफ्रीका के एक अवैध सोने की खदान से अब तक 60 शव बरामद किए गए हैं, जबकि 132 मजदूरों को बचाया लिया गया है. लेकिन खबर हैं कि 100 से ज्यादा मजदूर अब भी फंसे हो सकते हैं, इसकी आशंका जताई जा रही है.

calender

दक्षिण अफ्रीका के एक अवैध सोने की खदान से अब तक 60 शव बरामद किए जा चुके हैं. यह खदान जोहान्सबर्ग से करीब 150 किमी दूर स्थित है. इतना ही नहीं, पुलिस ने 132 मजदूरों को भी बचाया है. बचाव अभियान अभी जारी है, लेकिन खदान में 2 किमी से अधिक गहराई में अभी भी 100 से ज्यादा मजदूरों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही हैं.

भोजन और पानी की आपूर्ति काटने पर आलोचना

स्थानीय अधिकारियों ने खदान में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए पिछले कई महीनों से भोजन और पानी की आपूर्ति रोक दी थी. इस कदम को लेकर भारी आलोचना हो रही है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे 'निष्ठुर और निर्दयी' बताया है.

खदान की सच्चाई: अवैध और खतरनाक

यह खदान कई खानों में से एक है, जिन्हें खनन कंपनियों ने व्यावसायिक रूप से अनुपयोगी घोषित कर छोड़ दिया था. इन खानों में अवैध खनन करने वाले मजदूर, जिन्हें 'जामा-जामा' कहा जाता है, आमतौर पर अन्य अफ्रीकी देशों से आए प्रवासी होते हैं.

सरकार की कार्रवाई: 'अर्थव्यवस्था पर हमला'

दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने इस खदान के घेराव को अवैध खनन के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा बताया. खनन मंत्री ग्वेडे मांताशे ने इसे 'अर्थव्यवस्था पर हमला' करार देते हुए कहा कि अवैध कीमती धातुओं का व्यापार पिछले साल 60 अरब रैंड (3.17 अरब डॉलर) का था. सरकार ने इस कार्रवाई को वाला उमगोडी (isiZulu भाषा में "छेद बंद करो") अभियान का नाम दिया. 

परिवारों का दर्द: जीवित या मृत का अता-पता नहीं

स्थानीय निवासियों और फंसे हुए मजदूरों के परिवारों का दर्द बढ़ता जा रहा है. एक महिला, मातुमेलो, जिनके पति जून में खदान में गए थे, उन्होंने बताया कि उन्होंने आखिरी बार अगस्त में अपने पति का पत्र प्राप्त किया था. अब वह अपने नवजात बच्चे के साथ अपने पति की जिंदगी को लेकर चिंतित हैं. 

82 मजदूरों को बचाकर गिरफ्तार किया गया

सरकार ने 82 मजदूरों को बचाया है, लेकिन उन्हें अवैध खनन, अतिक्रमण और आप्रवास अधिनियम के उल्लंघन के आरोपों का सामना करना पड़ेगा. सरकारी बयान के अनुसार, बचाए गए सभी 82 मजदूरों पर अवैध खनन और घुसपैठ के आरोप लगाए गए हैं. 

कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच विवाद

मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं ने सरकार की इस कार्रवाई को अमानवीय करार दिया है. मेशाक मबांगुला, जो खनन क्षेत्र में एक कार्यकर्ता हैं, उन्होंने कहा कि यह जामा-जामा मजदूरों और समुदाय के प्रति निर्दयी है.  First Updated : Wednesday, 15 January 2025