क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी के जलवायु और वातावरण की सबसे पुरानी जानकारी अब बर्फ के एक टुकड़े में छुपी हुई है? जी हां, वैज्ञानिकों ने अब तक की सबसे पुरानी बर्फ का नमूना खोजा है, जो लगभग 12 लाख साल पुराना है. यह बर्फ अंटार्कटिका की गहरी बर्फीली परतों से निकाली गई है, और इस शोध से हमें जलवायु परिवर्तन, हिमयुग के बदलावों और पृथ्वी के प्राचीन वातावरण को समझने में मदद मिलेगी.
यह शोध इटली के वैज्ञानिकों ने किया है, जो 'बियॉन्ड एपिका' नामक प्रोजेक्ट के तहत काम कर रहे हैं. यूरोपीय संघ और अन्य यूरोपीय देशों के सहयोग से इस मिशन को पूरा किया गया. इस अभियान का नेतृत्व इटली ने किया है.
इस बर्फ का अध्ययन करने से वैज्ञानिकों को कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलेंगी. इससे वे जान सकेंगे कि पिछले 12 लाख सालों में पृथ्वी का वातावरण और जलवायु कैसे बदलते रहे हैं. इस बर्फ से यह भी पता चलेगा कि ग्रीनहाउस गैसों का स्तर किस तरह बढ़ा और हिमयुग के समय जलवायु में क्या बदलाव आए. इसके अलावा, इससे यह भी समझा जा सकेगा कि पृथ्वी के बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन में ग्रीनहाउस गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन का क्या असर है.
यह महत्वपूर्ण शोध चार साल की मेहनत के बाद पूरा हुआ. इस काम में इटली और अन्य देशों के 16 वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका की कड़ी ठंड में काम किया. इससे पहले, 2020 में इसी टीम ने 800,000 साल पुरानी बर्फ का नमूना निकाला था, जिसमें यह पाया गया कि पहले के गर्म समय में ग्रीनहाउस गैसों का स्तर अब की तुलना में कम था. लेकिन 2023 में ऊर्जा क्षेत्र से उत्सर्जन ने नया रिकॉर्ड बना लिया, जो वैज्ञानिकों के लिए चिंता का कारण है.
वैज्ञानिकों ने बर्फ के इस प्राचीन नमूने की खोज के लिए बहुत सोच-समझ कर स्थानों का चयन किया. उन्होंने बर्फ की चादरों के मॉडल का उपयोग किया और फिर एक खास उपकरण, रैपिड एक्सेस आइसोटोप ड्रिल, से बर्फ की गहरी परतों तक पहुंचने का प्रयास किया. ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (BAS) के रडारों की मदद से स्थानीय बर्फ की गतिविधियों का डेटा इकट्ठा किया गया, जिससे वैज्ञानिकों को सही स्थान की जानकारी मिली.
यह खोज पृथ्वी के जलवायु पैटर्न और ग्रीनहाउस गैसों के बीच के रिश्तों को समझने में मदद करेगी. बर्फ के भीतर फंसी हवा के बुलबुलों में जो ग्रीनहाउस गैसें हैं, उनका अध्ययन करके वैज्ञानिक जान सकेंगे कि जलवायु परिवर्तन और तापमान में बदलाव ने पृथ्वी को कैसे प्रभावित किया. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह खोज पर्यावरणीय बदलावों को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी. First Updated : Wednesday, 15 January 2025