अंतरिक्ष में छिपा पानी का चौथा रूप? वैज्ञानिकों ने दी हैरान करने वाली जानकारी
New Form of Water: पानी को अब तक हम केवल तीन रूपों- बर्फ, तरल और भाप में जानते थे, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसका एक चौथा रूप भी खोज लिया है. इसे 'प्लास्टिक आइस VII' नाम दिया गया है, जो चरम दबाव और उच्च तापमान में बनता है.

New Form of Water: पानी को हम आमतौर पर तीन रूपों में जानते हैं- ठोस (बर्फ), द्रव (पानी) और गैस (भाप). लेकिन अंतरिक्ष में, पृथ्वी से परे, पानी का एक और अनोखा रूप मौजूद हो सकता है. वैज्ञानिकों ने अब 'प्लास्टिक आइस VII' नाम के पानी के एक चौथे रूप के अस्तित्व का प्रत्यक्ष प्रमाण हासिल कर लिया है. इससे अंतरिक्ष में बर्फीले ग्रहों और चंद्रमाओं की संरचना को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी.
फ्रांस के इंस्टीट्यूट लॉय-लैंगेविन (ILL) के अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने लैब में प्लास्टिक आइस VII तैयार किया. इस प्रोसिस में पानी को 6 गीगापास्कल तक संपीड़ित किया गया और फिर 327 डिग्री सेल्सियस (620°F) तक गर्म किया गया.
क्या है प्लास्टिक आइस VII?
'प्लास्टिक आइस VII' एक ऐसा रूप है जिसमें पानी के ठोस और द्रव दोनों के गुण होते हैं. इसकी संरचना अद्वितीय है, जिसमें हाइड्रोजन परमाणु एक अनियमित रूप में व्यवस्थित होते हैं. इस वजह से इसका नाम 'प्लास्टिक आइस' रखा गया है.
रिसर्च में क्या पाया गया?
शोध में शामिल वैज्ञानिकों ने बताया कि क्वासी इलास्टिक न्यूट्रॉन स्कैटरिंग (QENS) माप से यह स्पष्ट हुआ कि इस आइस में अणुओं की घूर्णन गति पहले से सोचे गए 'फ्री रोटर' व्यवहार से अलग होती है. वैज्ञानिकों ने बताया कि, "QENS मापनों से संकेत मिला कि प्लास्टिक आइस VII में अणुओं का घूर्णन तंत्र पहले से अनुमानित मुक्त घूर्णन व्यवहार से अलग था."
प्लास्टिक आइस VII का अस्तित्व कहां संभव?
वैज्ञानिकों का मानना है कि नेपच्यून, यूरेनस और बृहस्पति के चंद्रमा 'यूरोपा' जैसे बर्फीले ग्रहों और उपग्रहों में प्लास्टिक आइस VII का अस्तित्व हो सकता है. इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि इन ग्रहों पर भूगर्भीय प्रक्रियाएं और आंतरिक संरचनाएं कैसे विकसित होती हैं.
अब भी कई रहस्य बाकी
हालांकि, वैज्ञानिकों के सामने अभी भी कई सवाल हैं. खासकर यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि प्लास्टिक आइस VII जब पिघलता है, तो उसकी संरचना कैसे बदलती है. कुछ सिद्धांतों के अनुसार, इसकी आणविक संरचना बनी रहती है, लेकिन हाइड्रोजन परमाणु स्वतंत्र रूप से गति करने लगते हैं. इस खोज से ग्रहों के विकास और उनके सतह के नीचे छिपी संभावित जल संरचनाओं को समझने में मदद मिल सकती है.