वैज्ञानिकों ने बना डाला इंसानी दिमाग से कम्प्यूटर, दुनिया की ऊर्जा की समस्या का निकल सकेगा हल!

Swedish Scientistes make living Computer: टेक्नोलॉजी के इस एडवांस दौर में स्वीडिश वैज्ञानिकों ने ऐसा कम्प्यूटर बनाने का दावा किया है जो कि एक जीवित कम्प्यूटर है और ह्यूमन ब्रेन टिशू से बनाया गया है. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे पॉसिबल हो सकता है. आइए हम आपको बताते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस कम्प्यूटर की सबसे खास बात यह है कि ये कम्प्यूटर चिप की तरह सूचनाओं को आदान-प्रदान करता है.

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Edited By: JBT Desk

Swedish Scientistes make living Computer: आज के इस बदलते दौर में हर काम पॉसिबल हो गया है. जब से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आया है तब दुनिया को सिर्फ यही डर लगा हुआ है कि ये लोगों की नौकरी ना ले ले. लेकिन अब हम जो आपको बताने जा रहे हैं वो वाकई चौंकाने वाली चीज है. दरअसल स्वीडिश वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क के ऊतकों से दुनिया का पहला जीवित कंप्यूटर बनाया है.

इसमें 16 ऑर्गेनोइड्स होते हैं, जो प्रयोगशाला में विकसित मस्तिष्क कोशिकाओं के समूह होते हैं जो एक दूसरे के साथ सूचना का आदान-प्रदान करते हैं. वे एक पारंपरिक कंप्यूटर चिप की तरह ही काम करते हैं. वे अपने न्यूरॉन्स के माध्यम से संकेत भेजते और प्राप्त करते हैं, जो सर्किट की तरह काम करते हैं. हालांकि, जो बात उन्हें खास बनाती है, वह यह है कि जीवित मशीन कम ऊर्जा का उपयोग करती है, क्योंकि जीवित न्यूरॉन्स वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले डिजिटल प्रोसेसर की तुलना में दस लाख गुना कम ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं.

1,000 गुना अधिक मेमोरी 

दुनिया के सर्वोत्तम कम्प्यूटरों, जैसे कि हेवलेट पैकार्ड एंटरप्राइज फ्रंटियर, के साथ तुलना करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि मानव मस्तिष्क, समान गति पर और 1,000 गुना अधिक मेमोरी के साथ, 10 से 20 वाट बिजली का उपयोग करता है, जबकि एक कम्प्यूटर 21 मेगावाट बिजली का उपयोग करता है.

फ़ाइनलस्पार्क के वैज्ञानिकों ने किया विकसित

इस लिविंग कम्प्यूटर को बनाने का दावा स्वीडन की कंपनी फाइनल स्पार्क के वैज्ञानिकों ने किया है. यह कम्प्यूटर लैब में तैयार की गई दिमागी कोशिकाओं जैसे 16 ऑर्गनॉइड्स से बना है जो कि आपस में एक दूसरे को सूचना ट्रांसफर करते हैं. इंसानी दिमाग की तरह ये अपने न्यूरॉन्स से कोई संकेत भेजते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि डिजिटल प्रोसेस की तुलना में ये 10 लाख गुना कम एनर्जी का यूज करते हैं. 

डोपामाइन की खुराक के साथ किया ट्रेंड

ऑर्गेनोइड्स को डोपामाइन की खुराक के साथ ट्रेंड किया जाता है. जब वे सही ढंग से काम करते हैं, तो उन्हें पुरस्कार के रूप में रसायन की एक धारा प्राप्त होती है. वैज्ञानिक मस्तिष्क के ऑर्गेनोइड के एक खास जगह पर प्रकाश डालकर डोपामाइन का प्रशासन करते हैं. ठीक उसी तरह जैसे मानव मस्तिष्क में एक खास जगह के एक्टिव होने पर इसे जारी किया जाता है. मिनी-ब्रेन आठ इलेक्ट्रोडों से घिरा होता है जो ऑर्गेनोइड्स में गतिविधि को मापते हैं, और शोधकर्ता न्यूरॉन को प्रभावित करने के लिए इलेक्ट्रोड के माध्यम से करंट भेज सकते हैं.

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14 August 2024, 12:21 PM IST

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