वैज्ञानिकों ने की अनोखी खोज, सालों पहले मरे पूर्वजों से होगी आपकी बात, पूछ पाएंगे हालचाल

ये बात किसी के दिमाग में नहीं आ सकती है कि मरे हुए लोगों से बात करने की तकनीक भी वैज्ञानिकों द्वारा खोज लिया जाएगा. मगर वर्तमान समय में कुछ भी हो पाना संभव है. अब हर एक व्यक्ति मरे हुए लोगों से वीडियो की मदद से आसानी से बात कर पाएगा. साथ ही ये प्रौद्योगिकियां अत्यधिक यथार्थवादी के अलावा इंटरैक्टिव डिजिटल व्यक्तित्व के निर्माण को योग्य बनाएगा. यकीन नहीं हो रहा तो इसके बारे में खबर पर जाकर पढ़ लीजिए.

JBT Desk
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वैज्ञानिक द्वारा हर दिन नए तरह के आविष्कार किए जाते हैं. जिससे लोगों के जीवन में अनेक प्रकार का लाभ मिलता है. मगर अब इन्होंने एक ऐसी तकनीक खोज निकाली है जिसपर यकीन करना बेहद मुश्किल है. जिसके माध्यम से आप अपने सालों पहले मरे पूर्वजों से बात कर सकते हैं. वह ठीक आपके सामने आकर खड़े हो जाएंगे. आपके हालचाल पूछेंगे आपके सिर पर हाथ रखेंगे, चलिए विस्तार से समझिए. 

मरे हुए लोग होंगे आपके सामने 

मिली जानकारी के मुताबिक आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआइ) के साथ कुछ अन्य तकनीकियों की मदद से अब मरे हुए लोगों से बात करना बेहद आसान हो गया है. यह दुनिया की सबसे अनोखी और अचंभित करने वाली खबर है. यह किसी कल्पना से कम नहीं, डरावना भी लग रहा है.  

वीडियो पर मौजूद होंगे आपके बुजुर्ग 

आपको बता दें कि एक ऐसा तकनीक जिससे वास्तविक व्यक्ति को याद करने का आपका तरीका बदल जाएगा. यह डिजिटल आफ्टरलाइफ़ उद्योग के कारण संभव हो पाया है. यह तकनीक आराम और व्यवधान का एक अजीब मिश्रण है. ये हमारे गहरे व्यक्तिगत अनुभवों को खींच कर अतीत और वर्तमान, स्मृति के साथ वास्तविकता के बीच की रेखाओं को अस्पष्ट कर देता है. 

डिजिटल आफ्टरलाइफ़ क्या है. 

वीआर और एआई प्रौद्योगिकियां हमारे प्रियजनों के आभासी पुनर्निर्माण को संभव करने का काम कर रही है. इस विशिष्ट उद्योग में कंपनियां डिजिटल व्यक्तित्व बनाने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट, ईमेल, संदेश और वॉयस रिकॉर्डिंग से डेटा का इस्तेमाल करती है. जिससे जीवित लोगों के साथ बातचीत किया जा सके. बता दें कि वर्तमान समय में यह उतना कारगर नहीं है. डिजिटल आफ्टरलाइफ़ उद्योग में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ने लगी है, जो हेयरआफ्टर उपयोगकर्ताओं को उनके जीवनकाल के समय कहानियों और संदेशों को रिकॉर्ड करने की क्षमता प्रदान करता है. जिसे बाद में उनके प्रियजनों की तरफ से इंतकाल के बाद इकठ्ठा क्या जा सकता है.

सुनकर हैरानी होगी कि मरने के बाद क्या कोई आपके मोबाइल पर मैसेज भेज सकता है. तो ये बात बिल्कुल सच है, क्योंकि माईविशिज जीवित लोगों के जीवन में उपस्थित रहते हुए मौत के बाद पूर्व-निर्धारित संदेश भेजने की क्षमता प्रदान करता है. हैनसन रोबोटिक्स नामक वैज्ञानिक ने रोबोटिक बस्ट बनाए हैं जो मृतक की यादों और व्यक्तित्व लक्षणों का इस्तेमाल करते हुए लोगों के साथ संवाद करते हैं. जिनकी मौत हो चुकी है वह जनरेटिव एआई डिजिटल आफ्टरलाइफ़ उद्योग में भी अपना योगदान देता है.

इस तकनीक से होगा खतरा 

यह विशेष तकनीक सुविधा के साथ-साथ खतरा लेकर आई है. जिस प्रकार से ये उपयोगकर्ता के अनुभव को बढ़ा सकता है, उसी तरह से यह भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक संकट भी पैदा करेगा. डिजिटल आफ्टरलाइफ़ प्रौद्योगिकियां मृतक संग निरंतरता और संबंध प्रदान करके शोक प्रक्रिया में सहायता कर सकती हैं. वहीं किसी प्रियजन की आवाज़ सुनने या उनकी समानता देखने से आराम के साथ नुकसान से उबरने में मदद मिल सकती है. साथ ही ये हमें भावनात्मक प्रभाव गहरा नकारात्मक हो सकता है, जो दुख को कम करने के बजाय और बढ़ा सकता है. अगर आपके बुजुर्गो के साथ अवांछित बातचीत होती है तो प्रियजनों को मनोवैज्ञानिक नुकसान होने की संभावना होती है. साथ ही डिजिटल समस्या भी आ सकती है. 

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24 June 2024, 06:22 PM IST

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