मरने के बाद भी पंछी करेंगे जंगल की निगरानी, वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया zombie drone
वैज्ञानिकों ने एक अद्भुत अविष्कार किया है, जिसमें मरे हुए पंछियों की तरह दिखने वाले ड्रोन का निर्माण किया गया है। यह 'ज़ोंबी ड्रोन' जंगलों में निगरानी रखने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इस ड्रोन का उद्देश्य मृत पंछियों की तरह उड़कर जंगल की सुरक्षा और पर्यावरण पर नजर रखना है।
लंदन. लंदन वैज्ञानिकों की एक टीम ने वन्यजीवों पर निगरानी रखने के लिए मृत पक्षियों का इस्तेमाल कर एक नई तकनीक विकसित की है. इस प्रक्रिया में बत्तखों और कबूतरों के मृत शरीरों से जोंबी ड्रोन बनाए गए हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि भविष्य में मृत छिपकलियों, सांपों और मेंढकों से भी ऐसे ड्रोन बनाए जा सकते हैं. इन प्रयोगों में इस्तेमाल किए गए सभी जानवर प्राकृतिक कारणों से मरे हैं, और इसका उद्देश्य केवल वन्यजीवों का अध्ययन करना है.
जोंबी ड्रोन का उद्देश्य
यह तकनीक, जो एक तरह से विचित्र और डरावनी प्रतीत होती है, वन्यजीवों पर निगरानी रखने के लिए विकसित की गई है. न्यू मैक्सिको टेक के बायोमिमेटिक रोबोटिस्टों की टीम ने मृत पक्षियों का इस्तेमाल कर प्राकृतिक ड्रोन बनाए हैं, जिनका उपयोग जंगलों और अन्य प्राकृतिक आवासों में जानवरों पर नजर रखने के लिए किया जा सकता है. इन ड्रोन का मुख्य उद्देश्य बिना किसी मानव हस्तक्षेप के वन्यजीवों के व्यवहार का अध्ययन करना है.
बेहतर निगरानी के लिए प्राकृतिक ड्रोन
डॉ. मुस्तफा हसनलियन, जो इस परियोजना के प्रमुख शोधकर्ता हैं, ने इन जोंबी ड्रोन को बनाए हैं ताकि वे पारंपरिक हेलीकॉप्टरों और क्वाडकॉप्टरों के मुकाबले अधिक प्रभावी ढंग से वन्यजीवों की निगरानी कर सकें. डॉ. हसनलियन का मानना है कि यह तकनीक इतनी प्राकृतिक होगी कि ये ड्रोन वन्यजीवों के साथ आसानी से घुल-मिल सकेंगे, और उनकी गतिविधियों को सही ढंग से रिकॉर्ड कर सकेंगे. इस नई तकनीक से वैज्ञानिकों को वन्यजीवों के व्यवहार का अधिक सटीक और वास्तविक डेटा प्राप्त होगा.
भविष्य में विस्तार की योजना
टीम ने पहले ही उड़ने वाले कबूतरों से जोंबी ड्रोन तैयार कर लिए हैं. अब उनकी योजना पानी में काम करने वाले ड्रोन बनाने की है. इसके लिए वे एक मृत बत्तख का उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं. डॉ. हसनलियन का कहना है कि कबूतरों के इन जोंबी ड्रोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वे पर्यावरण में पूरी तरह से समाहित हो जाएं.
इससे वन्यजीवों पर निगरानी रखना और भी आसान हो जाएगा। टीम का लक्ष्य भविष्य में इस तकनीक का विस्तार करते हुए सांपों, छिपकलियों और मेंढकों तक भी पहुंचाना है, ताकि वे भी जोंबी ड्रोन का हिस्सा बन सकें। इस अनोखी परियोजना से भविष्य में वन्यजीवों के अध्ययन और संरक्षण में नई संभावनाएं खुल सकती हैं।