पहली बीवी से पूछे बिना दूसरा निकाह? पाकिस्तान की इस्लामिक परिषद के फैसले पर हंगामा! आखिर क्या कहता है इस्लाम?

पाकिस्तान में दूसरी शादी को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहली बीवी की इजाजत के बिना दूसरी शादी करना गलत है लेकिन इस्लामिक परिषद को ये बात नागवार गुजरी. उन्होंने इसे शरीयत के खिलाफ बताया. क्या वाकई इस्लाम में दूसरी शादी की ऐसी कोई शर्त है और क्या पाकिस्तान का कानून इसमें बदलाव करेगा? जानिए इस पूरे मामले की दिलचस्प कहानी!

Aprajita
Edited By: Aprajita

Pakistan Islamic Council: पाकिस्तान में एक बार फिर बहुविवाह (Polygamy) को लेकर बहस छिड़ गई है. इस्लामिक विचारधारा परिषद (CII) ने पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का विरोध किया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि किसी भी शख्स को दूसरी शादी करने से पहले अपनी पहली पत्नी की अनुमति लेनी होगी. अगर वह ऐसा नहीं करता तो पहली पत्नी को निकाह खत्म करने का हक होगा. इस फैसले के खिलाफ इस्लामिक परिषद ने कड़ा रुख अपनाया है और इसे शरीयत के खिलाफ बताया है.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

कुछ समय पहले पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि किसी भी मुस्लिम शख्स को अपनी पहली पत्नी की इजाजत के बिना दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. अगर कोई पति ऐसा करता है, तो उसकी पहली पत्नी को निकाह तोड़ने (फस्ख-ए-निकाह) का पूरा हक होगा. कोर्ट ने अपने फैसले में 1961 के मुस्लिम फैमिली लॉ ऑर्डिनेंस का हवाला दिया, जिसमें बहुविवाह को लेकर कानूनी नियम बनाए गए हैं.

इस्लामिक परिषद ने किया विरोध

इस्लामिक विचारधारा परिषद ने 25-26 मार्च को हुई अपनी बैठक में इस फैसले का विरोध किया. परिषद के अध्यक्ष डॉ. रागिब हुसैन नईमी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कहा गया कि यह फैसला शरीयत कानून के खिलाफ है. परिषद के अनुसार, शरीयत के हिसाब से निकाह केवल दो ही तरीकों से खत्म किया जा सकता है – खुला और तलाक. ऐसे में कोर्ट द्वारा पत्नी को अपने स्तर पर निकाह खत्म करने की अनुमति देना इस्लामिक कानूनों का उल्लंघन है.

क्या इस्लाम में बहुविवाह जायज है?

इस्लामिक विशेषज्ञों के मुताबिक, इस्लाम में बहुविवाह की इजाजत दी गई है, लेकिन इसकी एक शर्त भी है. कुरान के अनुसार, कोई भी पुरुष दूसरी, तीसरी या चौथी शादी तभी कर सकता है जब वह सभी पत्नियों के साथ समान न्याय कर सके. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और इस्लामिक जानकार डॉ. एसवाई कुरैशी के अनुसार, बहुविवाह की परंपरा अरब देशों में 7वीं सदी में तब शुरू हुई थी जब युद्धों में बड़ी संख्या में पुरुष मारे जाते थे, और उनके परिवारों की देखभाल के लिए यह व्यवस्था की गई थी.

दुनिया में बहुविवाह का चलन कितना है?

हालांकि, आज की दुनिया में बहुविवाह का चलन बहुत कम रह गया है. प्यू रिसर्च सेंटर की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में सिर्फ 2% परिवार ही बहुविवाह को अपनाते हैं. कई मुस्लिम देशों ने भी इस पर बैन लगा दिया है, जिसमें तुर्की और ट्यूनीशिया जैसे देश शामिल हैं.

क्या आगे बदलेगा कानून?

अब सवाल ये है कि पाकिस्तान में बहुविवाह से जुड़े कानूनों में कोई बदलाव होगा या नहीं. इस्लामिक परिषद ने अपनी आपत्ति दर्ज करवा दी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब भी बरकरार है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का क्या अंजाम होता है.

calender
27 March 2025, 07:29 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो