Nobel Prize 2023: 31 साल की जेल और 154 कोड़ों की सजा.., ईरान में कैद नरगिस मोहम्मदी को मिला शांति का नोबेल?
Nobel Prize 2023: Nobel Piece Prize 2023 के लिए जब नरगिस मोहम्मदी का नाम सामने आया दुनिया भर में इंटरनेट पर सर्च किया जाने लगा कि कौन हैं नरगिस और इन्हें क्यों मिल रहा है शांति का नोबेल पुरस्कार?
Nobel Prize 2023: एक महिला जिसे 31 साल की कैद के साथ 154 कोड़ों की सजा मिली, उसका गुनाह सिर्फ इतना कि उसने एक इस्लामिक कट्टरपंथी मुल्क में महिलाओँ के अधिकारों के लिए आवाज उठाई. उस 51 साल की महिला की आवाज को ईरान की कट्टरपंथी सरकार बर्दाश्त न कर सकी और उसे जेल में डाल दिया गिया. वह इस समय तेहरान की बेहद खतरनाक मानी जाने वाली इविन जेल में 10 साल की सजा काट रही हैं. हम बात करे रहे हैं नरगिस मोहम्मदी की. दुनियाभर में इनकी चर्चा अचानक से बढ़ने का कारण है - वर्ष 2023 का Nobel Peace Prise यानि शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जिससे नरगिस को जेल में रहते हुए सम्मानित किया गया.
Nobel Piece Prize 2023 के लिए जब नरगिस मोहम्मदी का नाम सामने आया दुनिया भर में इंटरनेट पर सर्च किया जाने लगा कि कौन हैं नरगिस और इन्हें क्यों मिल रहा है शांति का नोबेल पुरस्कार? आप भी सोच रहे होंगे कि नरगिस में ऐसा क्या है जो इन्हें विश्व का इतना बड़ा सम्मान मिल रहा है वो भी तब जब ये जेल में हैं और न जाने कब तक रहेंगी?
आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि इस सम्मान के प्राप्त होने से नरगिस मदर टेरेसा और रवींद्र नाथ टैगोर जैसी विभूतियों की कतार में आकर खड़ी हो जाएंगी. इससे पहले हम आपको उनके संघर्ष भरे जीवन और उनपर कट्टरपंथी ईरानी सरकार के जुल्म के बारे में बताएं आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि अब तक कितने लोगों को शांति के लिए नोबेल दिया जा चुका है.
कितने लोगों को मिला नोबेल शांति पुरस्कार?
नोबेल प्राइज देने की परंपरा की शुरूआत वर्ष 1901 से हुई. जिसके तहत अबतक 104 लोगों को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. ऐसा नहीं है कि यह पहला अवसर है जब किसी को जेल में रहते हुए नोबेल दिया गया हो. इससे पहले कुल 5 लोगों को गिरफ्तारी के बाद नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
ईरानी सरकार को लगा झटका
इसबार का नोबेल शांति सम्मान ईरानी एक्टिविस्ट को मिलना वहां की कट्टरपंथी सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है जो महिलाओं को बराराबर का हक देना तो दूर उन्हें महज उपभोग का वस्तु मानती है. जहां एक ओर दुनिया की महिलाएं अपने पौरुष के दम पर अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं वहीं ईरान जैसा देश आज भी सरिया कानून की जंजीरों में जकड़ा घुट रहा है. जब इस घुटन की इंतहा पार हो जाती है तो नरगिस मोहम्मदी जैसी क्रांतिकारी महिला महिलाओं के सम्मान लिए बिना किसी सजा की परवाह किए उठ खड़ी होती है.
नरगिस मुहम्मद ने कैसे शुरू किया अपना सफर?
घुटन भरे इस देश में 21 अप्रैल 1972 को नरगिस का जन्म होता है. नरगिस पढ़ने लिखने में काफी शातिर हैं. बचपन से ही उन्हें ईरान में महिलाओं की स्थिति पर दुख होता था. इसी के चलते मात्र 18 वर्ष की उम्र में नरगिस ने स्वयं को महिलाओं का हक दिलाने के नाम आहुत कर दिया. और वहां की सरकार द्वारा उन्हें इसके लिए मुक्कमल सजा भी मिली. बताया जाता है कि उन्हें पहली बार 2011 में जेल हुई थी.
न्यूयॉर्क टाइम्स को जून में दिए एक इंटरव्यू में नरगिस ने कहा था कि उन्होंने 8 साल से अपने बच्चों को नहीं देखा है. उन्होंने आखिरी बार अपनी जुड़वा बेटियों अली और कियाना की आवाज एक साल पहले सुनी थी. नरगिस की दोनों बेटियां उनके पति तागी रहमानी के साथ फ्रांस में रहती हैं. दरअसल, तागी भी एक पॉलिटिकल एक्टिविस्ट हैं जिन्हें ईरान की सरकार ने 14 साल जेल की सजा दी थी.
नरगिस भले ही जेल में कैद हों, वहां की सरकार ने उनपर भले ही कितने जुर्म किए हों लेकिन आज दुनिया उनके बारे में बात कर रही है. उनकी विचारधारा और शरिया कानून से चलने वाले ईरान की हकीकत एक बार फिर से दुनिया के सामने आ गई.
नरगिस ने अपने नाम के प्रतिकूल उस फूल की तरह दुनिया में अपनी छटा बिखेर दी जो वसंत आने का संदेश देता है.