PM मोदी को पाकिस्तान बुलाएंगे शहबाज शरीफ, पाक के न्यौते के पीछे क्या है मकसद?

Pakistan News: पाकिस्तान लगातार भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाने की कवायद में लग गया है. ऐसे में पहले पीएम मोदी के तीसरी बार अपने पद की शपथ लेते ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का बधाई वाला ट्वीट आने के बाद अब पड़ोसी देश  पीएम मोदी को पाकिस्तान बुलाने की तैयारी में लग गया है.

JBT Desk
Edited By: JBT Desk

Pakistan News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार सत्ता में आने के बाद से पड़ोसी देश पाकिस्तान के सुर बदले-बदले से लग रहे हैं. पाकिस्तान लगातार भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाने की कवायद में लग गया है. ऐसे में पहले पीएम मोदी के तीसरी बार अपने पद की शपथ लेते ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का बधाई वाला ट्वीट आने के बाद अब पड़ोसी देश पीएम मोदी को पाकिस्तान बुलाने की तैयारी में लग गया है. इस दौरान अब इंटरनेशनल मीडिया में चर्चा उठने लगी है कि पाकिस्तान की तरफ से पीएम मोदी को न्योता देने के पीछे का क्या मकसद है?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अक्टूबर में होने जा रही शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के लिए पीएम मोदी को न्योता देगा. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम एससीओ के सभी राष्ट्राध्यक्षों को निमंत्रण भेजेंगे. हमें उम्मीद है कि एससीओ के सभी सदस्य इसमें शामिल होंगे.  

SCO बैठक का प्रतिनिधित्व कर रहे एस जयशंकर

इस बीच दूसरी और विदेश मंत्री एस जयशंकर  कजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. ऐसे में उन्होंने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में एलएसी  पर भी चर्चा हुई थी. एससीओ के अलावा जयशंकर की वांग यी से मुलाकात में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) का मुद्दा भी छिड़ा था. 

बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीमावर्ती इलाकों में विवादित मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत पर बल दिया था. ऐसे में दोनों नेताओं के बीच सीमावर्ती इलाकों में विवादित मुद्दों के जल्द से जल्द समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य माध्यमों से की जा रही कोशिशों को दोगुना करने पर बातचीत हुई थी.

दरअसल,  शंघाई सहयोग संगठन की 24वीं बैठक का आयोजन 3 से 4 जुलाई तक है. एससीओ में भारत, चीन, पाकिस्तान और रूस समेत 9 देश शामिल हैं विदेश मंत्री जयशंकर इस समिट में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद सत्र की व्यस्तता की वजह से इस समिट में शामिल नहीं हो पाए. 

क्या है SCO बैठक का मकसद?

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बात करें तो अप्रैल 1996 में एक बैठक हुई. इसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हुए. इस बैठक का मकसद था आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए सहयोग करना. तब इसे 'शंघाई फाइव' कहा गया.

हालांकि सही मायने में इसका गठन 15 जून 2001 में हुआ. तब चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने 'शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन' की स्थापना की. इसके बाद नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के अलावा कारोबार और निवेश बढ़ाना भी मकसद बन गया.

जब 1996 में शंघाई फाइव का गठन हुआ, तब इसका उद्देश्य था कि चीन और रूस की सीमाओं पर तनाव को कैसे कम किया जाए और कैसे उन सीमाओं की समस्याओं को सुधारा जाए. ये इसलिए क्योंकि उस समय बने नए देशों में तनाव था. ये मकसद सिर्फ तीन साल में ही सुलझ गए. इसलिए इसे सबसे प्रभावी संगठन के तौर पर माना जाता है.

calender
04 July 2024, 04:27 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो