वो 'एक शब्द' जिसके चलते पलट गया हसीना का तख्त और छोड़ना पड़ा देश
Sheikh Hasina: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने सोमवार को हालात बिगड़ते देख अपने पद से इस्तीफा दे दिया और देश भी छोड़ दिया. देर शाम शेख हसीना हिंदुस्तान पहुंच गईं. जिस समय वो भागने की तैयारियों में व्यस्त थीं उस समय उनके आवास पर लोगों ने धावा बोल दिया. प्रदर्शनकारी वहां से सामान उठाकर अपने घरों को भी ले गए. साथ ही बांग्लादेश के संस्थापक कहे जाने वाले शेख मुजीब के प्रतिमा के साथ भी तोड़फोड़ की.
Sheikh Hasina: बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्ता पलट हो गया है और उन्होंने अपना देश भी छोड़ दिया है. प्रधानमंत्री आवास पर हमले से कुछ देर पहले ही उन्होंने बांग्लादेश छोड़ा और भारत के लिए रवाना हो गईं. पिछले लगभग एक महीने से छात्र आरक्षण प्रणाली को लेकर शेख हसीना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे. कई जगहों पर आंदोलन उग्र भी हुए और 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. कहा जा रहा है कि शेख हसीना के तख्ता पलट के पीछे कई अहम वजहें हैं लेकिन उनके द्वारा बोला गया एक शब्द उन्हें भारी पड़ गया.
बांग्लादेश का आरक्षण सिस्टम:
1971 में, फौजियों के बलिदान को मान्यता देने के लिए उनके लिए नौकरी कोटा शुरू किया गया था, जिसके नतीजे में 30 प्रतिशत सिविल सेवा नौकरियां उन सैनिकों के बच्चों और पोते-पोतियों के लिए आरक्षित की गईं. इसके अलावा अलग से 26 प्रतिशत महिलाओं, पिछले जिलों और दिव्यांगों के लिए की रिजर्व हैं. बाकी बची सिर्फ 44 फीसद नौकरियां ओपन मैरिट थीं. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस सबके चलते बेरोजगारी में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इस वक्त 30 लाख नौजवान बेरोजगार बताए जा रहे हैं.
सरकार ने पलट दिया था फैसला:
कोटा प्रणाली ने असंतोष और हताशा को जन्म दिया, प्रदर्शनकारियों ने पिछड़े और कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित कोटा को समाप्त करने की मांग नहीं की, छात्रों ने आपत्ति जताई कि 'स्वतंत्रता सेनानियों' के बच्चों के लिए कोटा अनुचित था और इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है. उनकी आबादी कुल आबादी के एक प्रतिशत से भी कम है, सिविल सेवा की एक तिहाई नौकरियां उनके लिए आरक्षित थीं. इससे पहले 2013 और 2018 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. सरकार ने कोटा ख़त्म करने की घोषणा की, लेकिन सफलता तब विफलता में बदल गई जब 5 जून 2024 को उच्च न्यायालय ने सरकार के आदेश को अवैध करार दे दिया.
एक शब्द ने पलट दी हसीना की गद्दी:
विरोध प्रदर्शन जुलाई में छात्रों द्वारा सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग के साथ शुरू हुआ. 14 जुलाई को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक भड़काऊ भाषण में प्रदर्शनकारियों को 'रज़ाकार' कहा था. इस शब्द को बांग्लादेशी देशद्रोह के बराबर मानते हैं और यह शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिन्होंने 1971 में पाकिस्तानी फौज का सहयोग किया था, 50 साल पहले शेख मुजीब ने एक पार्टी की सरकार बनाई थी, बेटी ने फिर वही गलती दोहराई.