Sheikh Hasina: बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन और पीएम आवास पर हमला बोल देने के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ दिया है और अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है. सूत्रों का कहना है कि शेख हसीना जाने से पहले एक भाषण रिकॉर्ड करना चाहती थीं, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला. शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारी रविवार को सरकार समर्थक भीड़ से भिड़ गए, जिसमें करीब 100 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए.
बांग्लादेश की बांग्ला भाषा में प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार 'प्रोथम अलु' ने के मुताबिक झड़प में 14 पुलिस अधिकारियों समेत 95 लोग मारे गए. चैनल 24 समाचार आउटलेट ने 85 मौतों की सूचना दी. सेना ने रविवार शाम को राजधानी ढाका समेत देश के प्रमुख शहरों में अनिश्चित काल के लिए नए कर्फ्यू की घोषणा की. सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को खत्म करने के लिए छात्रों द्वारा पिछले महीने शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद प्रदर्शनकारी शेख हसीना वाजिद के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया जिसमें 200 से ज्यादा लोग मारे गए. जैसे ही हिंसा फिर से शुरू हुई तो हसीना ने कहा कि "बर्बरता" और विनाश में लगे प्रदर्शनकारी अब छात्र नहीं बल्कि अपराधी हैं और कहा कि लोगों को उनसे सख्ती से निपटना चाहिए.
शेख हसीना कहां गई हैं इस संबंध में कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं है लेकिन इस मौके पर हम आपको उनका एक पुराना किस्सा बताने जा रहे हैं. जब एक बार उन्हें अपनी पहचान छिपाकर हिंदुस्तान में रहना पड़ा था. क्योंकि उनके कत्ल होने का अंदेशा था. एक इंटरव्यू में शेख हसीना ने बताया था कि 30 जुलाई 1975 को वह अपने माता-पिता को अलविदा कहकर जर्मनी के लिए रवाना हो रही थीं, तो उन्हें अंदाजा नहीं था कि वो अपने पिता से आखिरी बार मिल रही हैं. शेख हसीना के पति उस समय जर्मनी में परमाणु वैज्ञानिक थे.
इसके बाद 15 अगस्त की सुबह, शेख हसीना को खबर मिली कि उनके पिता की हत्या कर दी गई थी. लेकिन ये खबर सिर्फ पिता की मौत तक ही सीमित नहीं रही बल्कि परिवार के और भी सदस्य मारे गए. भावुक होते हुए शेख हसीना ने कहा कि यह अविश्वसनीय था. अविश्वसनीय है कि कोई बंगाली ऐसा कर सकता है और हम अभी भी नहीं जानते कि वास्तव में क्या हुआ था. उन्होंने कहा कि उस दौरान मदद की पेशकश करने वाला भारत पहला देश था. इंदिरा गांधी ने तत्काल संदेश भेजा कि वह हमें सुरक्षा और आश्रय देना चाहती हैं. हमने दिल्ली जाने का फैसला किया क्योंकि हमने सोचा कि दिल्ली से अपने देश वापस जाना आसान होगा.
शेख हसीना ने कहा कि जब वह दिल्ली आईं तो उन्हें सबसे पहले सिक्योरिटी घेरे में एक घर में रखा गया. उन्होंने कहा कि जो लोग उनके पिता के कत्ल में शामिल थे, उन्होंने अन्य रिश्तेदारों के घरों पर भी हमला किया और उनमें से कुछ की हत्या कर दी. उन्होंने बताया कि रिश्तेदारों, कुछ कर्मचारियों और उनके बच्चों, समेत लगभग अठारह लोग मारे गए. उन्होंने कहा कि मेरा छोटा भाई केवल दस साल का था, उन्होंने उसे भी नहीं छोड़ा. शेख हसीना ने कहा कि इंदिरा गांधी ने उनके लिए सारी व्यवस्थाएं कीं, यहां तक कि उनके पति के लिए नौकरी की भी व्यवस्था की और उन्हें पंडारा रोड पर एक घर दिया.
हसीना ने कहा कि एक ही रात में सब कुछ बदल गया और वे हत्यारे अब भी हमें आतंकित करते हैं. वे यह जानने के लिए हमारा पीछा कर रहे थे कि हम कहां रहते हैं. इसलिए हम पंडारा रोड पर अलग नाम से रह रहे थे. अवामी लीग नेता ने कहा कि यह बहुत दर्दनाक है कि आपको अपनी पहचान और नाम छिपाना पड़ रहा है. मई 1981 में अवामी लीग का नेतृत्व मिलने के बाद शेख़ हसीना बांग्लादेश लौट आईं. उस समय हालात कुछ हद तक बदल चुके थे. शेख हसीना तीन बार विपक्ष की नेता और तीन बार प्रधानमंत्री बन चुकी हैं.
First Updated : Monday, 05 August 2024