Bangladesh Election: 5वीं बार पीएम बनेंगी शेख हसीना, भारी मतों से की जीत हासिल
Bangladesh Election: शेख हसीना एक बार फिर से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री और अवामी लीग प्रमुख शेख हसीना ने रविवार को हुए आम चुनाव में भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की है.
Bangladesh Election: बांग्लादेश में 7 जनवरी यानी रविवार को हिंसा के बीच आम चुनाव हुए. भारतीय समय के मुताबिक, मतदान सुबह साढ़े सात बजे शुरू हुआ था जो कि शाम 4 बजे समाप्त हो गया. पड़ोसी देश में चीफ चुनाव कमिश्नर के मुताबिक, करीब 40 फीसदी वोटिंग हुई. इसी के साथ बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना एक बार फिर गोपालगंज-3 संसदीय सीट से जीत गईं.
एक बार फिर से हसीना का राज
बांग्लादेश में हिंसक घटनाओं और मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के बहिष्कार के बीच रविवार को मतदान हुआ. वोटों की गिनती के दौरान बांग्लादेश चुनाव आयोग ने देर रात प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग की दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की पुष्टि की. इसके साथ ही शेख हसीना का पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनना तय हो गया था.
ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, शेख हसीना एक बार फिर गोपालगंज-3 संसदीय सीट से जीत गईं. इस सीट पर उन्हें 249965 वोट मिले जबकि इस सीट पर उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के एम निज़ाम उद्दीन लश्कर को सिर्फ 469 वोट मिले हैं.
200 संसदीय सीटें जीतीं
शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने 300 में से 200 संसदीय सीटें जीत ली हैं जबकि बाकी सीटों पर गिनती अभी भी जारी है. बांग्लादेश में सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 151 है. ऐसे में शेख हसीना पांचवीं बार सत्ता में आने के लिए तैयार हैं.
चुनाव का बहिष्कार
बांग्लादेश में चुनाव से पहले हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं. बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी, लेफ्ट अलायंस जैसे विपक्षी खेमों ने हसीना सरकार की देखरेख में होने वाले किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान किया. उन्होंने चुनाव का बहिष्कार किया और 48 घंटे की हड़ताल पर चले गये. इसके चलते चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत काफी कम रहा है.
क्या बोलीं शेख हसीना
बीएनपी बहिष्कार के बीच हुए चुनाव को स्वीकार करने से जुड़े सवाल पर हसीना ने कहा, 'मेरे लिए महत्वपूर्ण यह है कि लोग इस चुनाव को स्वीकार करते हैं या नहीं. इसलिए मुझे उनकी (विदेशी मीडिया) स्वीकार्यता की परवाह नहीं है.' इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आतंकवादी दल ने क्या कहा या क्या नहीं कहा.