श्रीलंका को मिला अपना नया राष्ट्रपति, दूसरे राउंड की गिनती में अनुरा कुमारा दिसानायके ने मारी बाजी

Srilanka President Election: श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में वामपंथी नेता अनुरा कुनारा दिसानायके की जीत हासिल कर ली है. वह श्रीलंका के 10वें राष्ट्रपति होंगे. उन्होंने 42.31 प्रतिशत वोट हासिल कर श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की. वह चीन के समर्थक माने जाते हैं. पहले भी वह श्रीलंका में अडानी के प्रोजेक्ट्स रद्द करने की बात कह चुके हैं. बता दें कि अनुरा कुमारा दिसानायके कम्युनिस्ट विचारधारा को मानते हैं.  कई मौकों पर भारत का विरोध कर चुके हैं.

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Edited By: JBT Desk

Srilanka President Election:  श्री लंका को अपना नया राष्ट्रपति मिल गया है. आज यानी रविवार को घोषित आधिकारिक चुनावी नतीजों के अनुसार, मार्क्सवादी सांसद अनुरा कुमारा दिसानायके ने 42.31 प्रतिशत वोट हासिल कर श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर ली है. वामपंथी गठबंधन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (जेवीपी) के 55 वर्षीय नेता ने रविवार को पूर्ण नतीजे आधिकारिक रूप से जारी होने से पहले ही जीत का दावा किया.  चुनाव आयोग द्वारा उनकी बढ़त की पुष्टि किए जाने के बाद उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'यह जीत हम सभी की है.'

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पहले राउंड के वोटों की गितनी में किसी भी उम्मीदवार को 50 फ़ीसदी से अधिक वोट नहीं मिल पाए थे.  इस राउंड में अनुरा दिसानायके को 42.31 फ़ीसदी और उनके प्रतिद्वंद्वी रहे सजीथ प्रेमदासा को 32.76 फ़ीसदी वोट मिले. इस कारण चुनाव आयोग ने दूसरे दौर की गिनती शुरू की.  ऐसे में पहले राउंड की वोटों की गिनती में दिसानायके को   40 प्रतिशत से अधिक वोट पाने के बाद उन्हें दूसरे राउंड की गिनती में जीत मिली.  जिसके बाद शाम को अनुरा दिसानायके श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए.

सोमवार को लेंगे शपथ

दिसानायके को सोमवार को कोलंबो के औपनिवेशिक युग के राष्ट्रपति सचिवालय में शपथ दिलाई जाएगी.  सत्ता में उनका उदय देश के आर्थिक पतन के लिए जिम्मेदार राजनीतिक प्रतिष्ठान की अस्वीकृति का संकेत देता है. यह जीत जेवीपी के लिए एक बड़ा बदलाव भी दर्शाती है, जिसे 2019 के राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ 3 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे. शनिवार को हुए चुनाव में 76 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें 17 मिलियन श्रीलंकाई मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके. 

'रानिल विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर रहे'

इसी के साथ विपक्षी नेता सजीथ प्रेमदासा 32.76 प्रतिशत वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, जिन्होंने 2022 के आर्थिक पतन के दौरान देश की देखरेख की थी, 17.27 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर रहे.  विक्रमसिंघे ने अभी तक औपचारिक रूप से हार नहीं मानी है, लेकिन विदेश मंत्री अली सबरी ने कहा कि यह 'स्पष्ट है कि दिसानायके ने जीत हासिल की है'. 

इस चुनाव को श्रीलंका की नाजुक आर्थिक रिकवरी के दौरान विक्रमसिंघे के नेतृत्व पर जनमत संग्रह के रूप में देखा गया. 2022 में देशव्यापी विद्रोह के बाद सत्ता संभालने वाली उनकी सरकार को देश की बिखरती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के उद्देश्य से 2.9 बिलियन डॉलर के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बेलआउट को संभालने का काम सौंपा गया था.  विक्रमसिंघे के सख्त मितव्ययिता उपायों, जिसमें कर वृद्धि और सामाजिक व्यय में कटौती शामिल है, उनको व्यापक सार्वजनिक प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा है, जिससे गरीबी दर दोगुनी हो गई है और जीवनयापन की लागत आसमान छू रही है. 

कम्युनिस्ट विचारधारा 

कम्युनिस्ट विचारधारा को फॉलो करते हैं अनुरा कुमारा. वहीं  20% वोट लेकर दूसरे स्थान पर साजिथ प्रेमदासा की पार्टी समागी जन बालवेगया चल रही है.  रानिल विक्रमसिंघे 18 फीसदी वोट लेकर तीसरे स्थान पर हैं. पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे को सिर्फ 1 फीसदी वोट मिला है. श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए 21 सितंबर को हुए मतदान थे. मतगणना के नतीजों के बीच कोलंबो में कर्फ्यू लगा दिया गया है.

जनता के बीच पॉपुलर

दिसानायके की पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) को 2022 में श्रीलंका संकट के बाद से जनता के बाद काफी लोकप्रियता मिली. अपने जोशिले भाषणों में गरीबों की मदद और वामपंथी नीतियों से लगातार जनता के बीच पॉपुलर होते रहे हैं. वहीं, श्रीलंका संकट में उनको जनता के बीच उभरने का खासा मिला. आपको बता दें, कि दिसानायके कोलंबो जिला से सांसद हैं. वो 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ चुके हैं. वो 2024 का एनपीपी मोर्चे से लड़ रहे हैं. एनपीपी कई पार्टियों का एलायंस है, जिसके नेता दिसानायके हैं

श्रीलंका संकट के बाद से लोकप्रियता

2022 में श्रीलंका संकट के बाद से जनता के बाद दिसानायके की पार्टी जनता को विमुक्ति पेरामुना  काफी लोकप्रियता मिली. अपने भाषणों में उन्होंने गरीबों की मदद और वामपंथी नीतियों से लगातार जनता के बीच पॉपुलर होते रहे हैं. वहीं श्रीलंका संकट में उनको जनता के बीच उभरने का खासा मौका मिला. आपको बता दें, कि दिसानायके कोलंबो जिला से सांसद हैं. वो 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ चुके हैं. वो 2024 का एनपीपी मोर्चे से लड़ रहे हैं. एनपीपी कई पार्टियों का एलायंस है, जिसके नेता दिसानायके हैं

भारत के विरोधी

दिसानायके के भारत के मुखर विरोधी माने जाते हैं. उन्होंने कई मौकों पर अपने बयान में भारत विरोधी बातें बोली हैं. 1980 के श्रीलंका के गृह युद्ध में भारत-श्रीलंका शांति समझौते के जरिए भारत के हस्तक्षेप का उन्होंने विरोध किया था. साथ ही भारत के श्रीलंका में लिट्टे से निपटने के लिए पीसकीपिंग फोर्स का भी विरोध किया था. साथ ही उन्होंने अभी हाल में श्रीलंका में चल रहे अडानी समूह के 484 मेगावाट वाले 44 करोड़ के समझौते को रद्द करने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि अगर मैं राष्ट्रपति बनता हूं तो इस प्रोजेक्ट को रद्द कर दूंगा.

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22 September 2024, 09:28 AM IST

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