सुनीता विलियम्स 9 महीने बाद लौट रहीं, लेकिन धरती पर होगी असली परीक्षा!
अंतरिक्ष में 8 दिन के मिशन के लिए गईं सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को तकनीकी दिक्कतों के कारण 9 महीने तक वहीं रहना पड़ा. अब वे पृथ्वी पर लौट रहे हैं लेकिन गुरुत्वाकर्षण की कमी से हुए शारीरिक बदलावों से उबरना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. आगे क्या होगा? जानिए पूरी खबर...

Sunita Williams Returns: नौ महीने का लंबा सफर, तकनीकी दिक्कतें और अंतरिक्ष में गुजारा गया हर दिन – नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर के लिए यह मिशन आसान नहीं था. अब जब वे पृथ्वी पर लौट रहे हैं तो उनका स्वागत सिर्फ परिवार और दोस्तों से ही नहीं बल्कि कई चुनौतियों से भी होगा.
मिशन खत्म, लेकिन क्या सफर भी?
सुनीता और उनकी टीम क्रू-9 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर थीं. यह मिशन सिर्फ आठ दिनों का होना था लेकिन तकनीकी दिक्कतों की वजह से यह नौ महीने तक खिंच गया. उनके स्टारलाइनर कैप्सूल में हीलियम लीकेज और थ्रस्टर फेलियर जैसी समस्याएं आ गईं जिससे उन्हें इंतजार करना पड़ा. अब जब वे लौट रहे हैं तो पृथ्वी पर उनका एक और मिशन शुरू होगा – अपने शरीर को दोबारा पृथ्वी के माहौल के अनुकूल बनाना.
पृथ्वी पर पहला कदम और मेडिकल टेस्ट
फ्लोरिडा के तट पर लैंडिंग के तुरंत बाद, स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल से बाहर निकलते ही उन्हें स्ट्रेचर पर लिटाया जाएगा. यह इसलिए किया जाता है क्योंकि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से शरीर कमजोर हो जाता है. बिना गुरुत्वाकर्षण के मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर पड़ जाती हैं और संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है. शुरुआती मेडिकल जांच के बाद उन्हें ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में ले जाया जाएगा, जहां कई दिनों तक उनका फिजिकल और मेंटल हेल्थ चेकअप चलेगा.
मिशन डीब्रीफिंग – हर अनुभव होगा अहम
हर अंतरिक्ष मिशन के बाद, डीब्रीफिंग होती है जहां अंतरिक्ष यात्री अपने अनुभव, चुनौतियां और मिशन की उपलब्धियों पर चर्चा करते हैं. सुनीता और उनकी टीम से भी यह उम्मीद की जा रही है कि वे नासा के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के साथ बैठकर इस लंबे मिशन की सफलता और कठिनाइयों पर चर्चा करेंगी.
परिवार और दोस्तों से मिलने की बेसब्री
सुनीता विलियम्स इस मिशन के दौरान अपने परिवार और दो पालतू कुत्तों को बहुत याद कर रही थीं. उन्होंने पहले ही कहा था कि घर लौटने के बाद सबसे पहले अपने कुत्तों और परिवार से मिलना चाहती हैं. इस मिशन के दौरान उनके परिवार ने भी कई चुनौतियों का सामना किया और अब उनके लिए यह फिर से एकजुट होने का वक्त होगा.
पृथ्वी पर लौटने के बाद की चुनौतियां
जो लोग सोचते हैं कि अंतरिक्ष से लौटते ही जीवन पहले जैसा हो जाता है, वे गलत हैं. लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाले यात्रियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है –
- चक्कर आना और संतुलन खो देना – क्योंकि गुरुत्वाकर्षण की गैरमौजूदगी में शरीर संतुलन बनाए रखने की आदत भूल जाता है.
- बेबी फीट सिंड्रोम – अंतरिक्ष में पैरों पर वजन नहीं पड़ता, जिससे उनकी त्वचा मुलायम हो जाती है.
- मांसपेशियों की कमजोरी – बिना ग्रैविटी के मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और दोबारा ताकत पाने में हफ्तों लग जाते हैं.
- खून का दबाव और दृष्टि पर असर – भारहीनता से शरीर में मौजूद तरल पदार्थ सिर की ओर चले जाते हैं, जिससे आंखों की रोशनी पर असर पड़ सकता है.
स्पेस मिशन से क्या सीख मिली?
यह मिशन बताता है कि अंतरिक्ष में जाना जितना रोमांचक है, उतना ही जोखिम भरा भी. सुनीता और उनकी टीम का यह अनुभव भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा. नासा, बोइंग और अन्य एजेंसियां अब इन डेटा का विश्लेषण करेंगी ताकि आने वाले मिशनों को ज्यादा सुरक्षित और सफल बनाया जा सके.
अगले मिशन की तैयारी?
क्या सुनीता विलियम्स फिर से अंतरिक्ष में जाएंगी? यह तो समय बताएगा लेकिन फिलहाल उनका ध्यान अपने शरीर को रिकवरी देने और अपने परिवार के साथ समय बिताने पर होगा. अब जब सुनीता विलियम्स वापस आ रही हैं तो उनकी अगली यात्रा अंतरिक्ष नहीं बल्कि दोबारा पृथ्वी पर जीने की होगी