तालिबान में गैर इस्लामिक किताब पढ़ा तो खैर नहीं, सरकार जो चाहेगी सिर्फ उतना ही पढ़ने की इजाजत

Taliban: अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार ने गैर इस्लामिक साहित्य के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. तालिबान ने कई किताबों पर बैन लगा दिया है, क्योंकि वे शरिया कानूनों के हिसाब से नहीं थी.

Kamal Kumar Mishra
Kamal Kumar Mishra

Taliban: तालिबान सरकार ने 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से "गैर-इस्लामिक" और सरकार विरोधी किताबों को खत्म कर रही है. इसके तहत एक बार फिर तालिबान में बड़ी कार्रवाई की गई है.

दरअसल, अफगानिस्तान में सूचना और संस्कृति मंत्रालय के तहत गठित एक आयोग का मुख्य उद्देश्य इस्लामी कानून, शरिया के अनुरूप साहित्य को बढ़ावा देना और अफगान मूल्यों के खिलाफ सामग्री को प्रतिबंधित करना है. इस प्रक्रिया के दौरान, तालिबान ने 2021 से अक्टूबर 2023 तक 400 से अधिक किताबों को "इस्लामिक और अफगान मूल्यों" के खिलाफ मानते हुए जब्त किया है. इन किताबों की जगह पर कुरान और अन्य इस्लामी ग्रंथों का वितरण किया गया.

तालिबान ने विशेष रूप से उन पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाया है जो उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से मेल नहीं खातीं. इनमें प्रमुख नामों की किताबें शामिल हैं, जैसे- खलील जिब्रान की "जीसस द सन ऑफ मैन", इस्माइल कादरे की "ट्वाइलाइट ऑफ द ईस्टर्न गॉड्स" और मीरवाइस बाल्खी की "अफगानिस्तान एंड द रीजन". इन किताबों पर तालिबानी सरकार ने पूरी तरह से बैन लगा दिया है. 

किताबों को पढ़ने के बाद कार्रवाई

इस प्रतिबंध की वजह से अफगानिस्तान में कई स्थानीय प्रकाशक और पुस्तक विक्रेता डर और अनिश्चितता के माहौल में काम कर रहे हैं. इससे विचारों की विविधता और शैक्षिक सामग्री तक पहुंच सीमित हो गई है. तालिबान का यह कदम उनके अनुसार धर्म और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करने के उद्देश्य से है और वे इसे "दुष्ट और गुण" कानूनों के तहत सही ठहराते हैं, जो जीवित चीजों की छवियों और गैर-इस्लामिक विचारों को प्रतिबंधित करते हैं.

शरिया के खिलाफ नहीं हो सकती किताब

तालिबान अधिकारी मोहम्मद सेदिक खादेमी ने AFP को बताया कि उन्होंने किसी विशिष्ट देश या व्यक्ति की किताबों पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, बल्कि वे किताबों का अध्ययन करते हैं और उन पर प्रतिबंध लगाते हैं जो धर्म, शरिया या सरकार के विरोधाभासी होते हैं या जिनमें जीवित चीजों की तस्वीरें होती हैं. उनका कहना था, "हम कोई भी किताबें जो धर्म, आस्था, संप्रदाय, शरिया के खिलाफ हैं... उन्हें अनुमति नहीं देंगे."

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20 November 2024, 09:43 PM IST

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