आज ही के दिन तालिबान ने काबुल में 12 और अन्य 29 जगहों पर दी थी 3-3 गायों की बलि, जानिए क्यों?
Taliban News: विशेष निर्देश में कहा गया कि ,100 गायों - राजधानी काबुल में 12, प्रत्येक प्रांत में तीन और प्रत्येक क्षेत्र में पांच - की बली दी जाएगी. और मांस गरीबों में बांटा जाएगा.
Taliban News: आज ही का वो दिन था जब तालिबान ने गायों की बलि देने का ऐलान किया. इसके बाद लगभग 100 गायों की बलि दी गई थी, जिसमें स्थान निर्धारित किए गए थे कि कहां पर कितनी गायों की बलि दी जानी है. मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई जानकारी के मुताबिक, तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला मोहम्मद उमर ने देश की प्राचीन मूर्तियों के विनाश में देरी का प्रायश्चित करने के लिए 100 गायों की बलि देने का आदेश दिया था.
कब दी गई गायों की बली?
1996 में काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान ने अपने नियम लागू करने शुरू कर दिए. सरकार बनने के बाद, तालिबान ने एक फरमान जारी किया, जिसमें संगीत तक बजाने पर पाबंदी थी. दरअसल, मुल्ला मोहम्मद उमर ने 26 फरवरी 2001 को एक नया आदेश जारी करते हुए देश में मौजूद सभी मूर्तियों को तबाह करने को कहा. इस मुद्दे का जिक्र पूरी दुनिया में हुआ लेकिन तालिबान ने इसे अपना आंतरिक मुद्दा कहकर बात खत्म कर दी. आखिर में मध्य प्रांत बामियान में 1,500 साल से भी ज्यादा वक्त पहले बनाई गई दो विशाल बुद्ध प्रतिमाओं को तोड़ दिया गया, जिसके बाद व्यापक अंतरराष्ट्रीय निंदा हुई थी.
गायों की बली क्यों दी?
तालिबान ने जिन मूर्तियों को तोड़ने का आदेश जारी किया था, उस काम को पूरा होने में ज्यादा समय लग गया था जिसकी वजह से इन गायों की बलि देने का फैसला किया गया. इस वक्त छपी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अफगानिस्तान के क्रूर तालिबान शासकों ने देश में प्राचीन बुद्ध प्रतिमाओं को ध्वस्त करने में हुई देरी का प्रायश्चित करने के लिए 100 गायों की बलि देने का फैसला किया था. तालिबान के वॉयस ऑफ शरीयत रेडियो ने कहा कि तालिबान प्रमुख मुल्ला मोहम्मद उमर ने काबुल में 12 गायों और तालिबान के कब्जे वाले 29 प्रांतों की राजधानियों में तीन-तीन गायों की बलि देने का आदेश जारी किया है. जानकारी के मुताबिक, गायों की बलि देकर उसको गरीबों में बंटवा दिया गया था.