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हमास से बातचीत और नेतन्याहू से दूरी, अमेरिका का बदला रवैया

अमेरिका और इजराइल के बीच रिश्तों में खटास बढ़ रही है. बंधकों की रिहाई को लेकर अमेरिका ने हमास से गुप्त बातचीत की, जिससे नेतन्याहू नाराज हैं. अमेरिका अब ईरान और तुर्की से टकराव नहीं चाहता और नेतन्याहू की नीतियों से अलग रास्ता अपना रहा है. ये 5 बड़े संकेत दिखाते हैं कि अमेरिका अब नेतन्याहू को सत्ता से हटाने की रणनीति पर काम कर रहा है.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

इजराइल और गाजा के बीच लंबे समय से युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है. शुरू में अमेरिका इस लड़ाई में पूरी तरह इजराइल और प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ खड़ा था, लेकिन अब उसका रुख बदलता नजर आ रहा है. बंधकों की रिहाई को लेकर अमेरिका की सोच में बदलाव आया है, और अब कई जानकार मानते हैं कि अमेरिका नेतन्याहू को सत्ता से हटाना चाहता है.

हाल की घटनाओं और बातचीत से साफ है कि अमेरिका अब नेतन्याहू का समर्थन कम कर रहा है. अमेरिका अब सीधे हमास से बातचीत कर रहा है, जो पहले उसकी नीति के खिलाफ था. इससे लगता है कि अमेरिका अब इजराइल की हर बात को नहीं मानना चाहता.

ईरान पर नरमी दिखा रहा अमेरिका

जब इजराइल ने ईरान पर सख्त सैन्य कार्रवाई की मांग की, तब अमेरिका ने कहा कि वह ईरान के नेता अयातुल्ला खामनेई के साथ गद्दाफी जैसा बर्ताव नहीं करना चाहता. इसका मतलब है कि अमेरिका अब ईरान के मामले में नरम रुख अपनाना चाहता है.

तुर्की से टकराव नहीं चाहता अमेरिका

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान को इजराइल का विरोधी माना जाता है. लेकिन अमेरिका ने साफ कहा है कि वह तुर्की से टकराव नहीं चाहता. इससे इजराइल को यह संकेत मिला कि अमेरिका अब केवल इजराइल की बात नहीं मानेगा, बल्कि अपने नए कूटनीतिक रास्ते बनाएगा.

हमास से छिपकर बातचीत

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के अधिकारी मार्च में तीन बार हमास से गुप्त रूप से मिले. बातचीत कतर में हुई और इसका मकसद अमेरिकी बंधक एडन अलेक्जेंडर को छुड़ाना था. यह पहली बार था जब अमेरिका ने हमास से सीधे बात की.

इजराइल को बिना बताए डील की कोशिश

अमेरिकी दूत एडम बोहलर ने एडन अलेक्जेंडर के बदले 250 कैदियों की रिहाई का प्रस्ताव दिया, लेकिन इस बारे में इजराइल को नहीं बताया. इससे नेतन्याहू नाराज हो गए और उनके मंत्री ने चेतावनी दी कि इस तरह की एकतरफा कार्रवाई से हालात बिगड़ सकते हैं.

हमास की शर्तों पर अमेरिका की सहमति

हमास ने अमेरिका को संघर्षविराम की पेशकश की, बशर्ते हथियारों पर बाद में बात हो. साथ ही उन्होंने अमेरिका में बंद 'हॉली लैंड फाउंडेशन' के नेताओं की रिहाई भी मांगी. अमेरिका ने इन शर्तों पर बातचीत करने की इच्छा दिखाई, जो दिखाता है कि वह अब इजराइल की हर बात नहीं मान रहा.

कुवैत में विवादित राजदूत की नियुक्ति

अमेरिका ने कुवैत में ऐसा राजदूत भेजा जिस पर पहले यहूदी विरोधी बयान देने का आरोप था. इस फैसले से इजराइल चौंक गया. यह कदम भी इजराइल के प्रति अमेरिका के बदलते रुख का संकेत है.

नेतन्याहू को अंधेरे में रखा गया

जब मार्च में अमेरिका-हमास के बीच बातचीत हो रही थी, तब इजराइल को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. जानकार मानते हैं कि यह एक रणनीति थी ताकि नेतन्याहू की राजनीतिक स्थिति कमजोर की जा सके.

फिर से शुरू हुआ इजराइली हमला

जब तक हमास ने अमेरिकी प्रस्ताव को माना, तब तक अमेरिकी अधिकारी कतर छोड़ चुके थे और इजराइल ने गाजा पर दोबारा हमला शुरू कर दिया. इससे अमेरिका और इजराइल के बीच अविश्वास और भी गहरा हो गया.

क्या नेतन्याहू सत्ता में रह पाएंगे?

इन सब बातों से यह साफ है कि अमेरिका अब नेतन्याहू को सत्ता में बनाए रखना नहीं चाहता. क्षेत्रीय शांति, ईरान नीति और हमास से बातचीत जैसे मुद्दों पर नेतन्याहू के रुख से अमेरिका अब संतुष्ट नहीं है. आने वाले दिनों में यह तय होगा कि नेतन्याहू इस अमेरिकी बदलाव का सामना कैसे करते हैं.

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11 April 2025, 07:57 AM IST

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