TCS पर लगा भेदभाव का आरोप, अमेरिकी प्रोफेशनल्स ने की शिकायत-रिपोर्ट
TCS News: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के अमेरिकी कर्मचारियों ने कंपनी पर भेदभाव का बड़ा आरोप लगाया है. इन आरोपों को कंपनी ने 'बेबुनियाद और भ्रामक' बताया है.
Tata Consultancy Services: भारतीय टेक दिग्गज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) गंभीर आरोपों में घिर गई है. अमेरिकी प्रोफेशनल्स के एक समूह ने टीसीएस पर नस्ल और उम्र के आधार पर उनके साथ अवैध रूप से भेदभाव करने का आरोप लगाया है. कर्मचारियों ने कंपनी पर शॉर्ट नोटिस देकर नौकरी से निकालने का भी आरोप लगाए हैं. वर्कर्स का कहा है कि टीसीएस एच1-बी वीजा पर भारत से लोगों को भर्ती कर रही है. बता दें एच-1बी वीजा कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को टेक्निकल एक्सपर्ट की जरूरत वाले बिजनेस में विदेशी वर्कर्स को अपॉइंट करने की इजाजत देता है.
टीसीएस के खिलाफ की गई शिकायत
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार करीब 22 अमेरिकी वर्कर्स ने टीसीएस के खिलाफ अमेरिकी समान रोजगार अवसर आयोग में शिकायत दर्ज कराई है. जिसके ग्राहकों में दर्जनों सबसे बड़ी अमेरिकी कंपनियां शामिल हैं. निकाले गए पूर्व टीसीएस कर्मचारी कॉकेशियन, एशियाई-अमेरिकी और हिस्पैनिक अमेरिकी हैं, जिनकी उम्र 40 से 60 वर्ष के बीच है और वे एक दर्जन से अधिक अमेरिकी राज्यों में रह रहे हैं.
डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय आईटी प्रमुख ने कथित तौर पर उम्र और नस्ल के आधार पर उन्हें निशाना बनाकर कानून तोड़ा, साथ ही शॉर्ट नोटिस पर उनका रोजगार खत्म कर दिया है. उनकी जगह पर एच1बी वीजा पर कम सैलरी वाले भारतीय प्रवासियों को काम पर रख लिया.
कंपनी ने दी सफाई
टीसीएस के एक प्रवक्ता ने आरोपों को 'बेबुनियाद और भ्रामक' बताया है. प्रवक्ता ने कहा कि टीसीएस के पास "अमेरिका में समान अवसर नियोक्ता होने और अपने परिचालन में ईमानदारी के साथ काम करने का मजबूत रिकॉर्ड है. "शिकायतों ने अब सवाल उठाया है कि भारतीय आईटी कंपनियां एच-1बी वीजा का उपयोग कैसे करती हैं.जो कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए डिज़ाइन किया गया है.
बता दें कि टीसीएस में 6 लाख से अधिक कर्मचारी हैं, जिनमें से अधिकांश भारत में हैं. यह अपने राजस्व का लगभग आधा हिस्सा उत्तरी अमेरिका में उत्पन्न करता है, लेकिन अमेरिका में बहुत कम कार्यबल को रोजगार देता है.