अरस्तू या फिर कंफ्यूशियस...कौन था दुनिया का पहला टीचर

Teachers Day 2024: हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. काफी समय से इस बात का बहस चलता आया है कि दुनिया का पहला टीचर कौन है. कुछ लोग ऐसे हैं जिनका मानना है कि अरस्तू दुनिया के पहले टीचर हैं तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि दुनिया के पहले शिक्षक कंफ्यूशियस हैं. इन दोनों के नाम पर अक्सर बहस भी होती है. तो चलिए टीचर डे के खास मौके पर इस सवाल का सही जवाब जानते हैं.

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Teachers Day 2024: हर इंसान के जीवन में एक शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.शिक्षक का पेशा आज दुनिया का सबसे बड़ा पेशा है. पूरी दुनिया के स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वालों की संख्या 80 मिलियन से भी ज्यादा है जिसमें स्कूल, हाई स्कूल के साथ-साथ कॉलेज यूनिवर्सिटी के शिक्षक भी शामिल हैं. शिक्षक वह होते हैं जो अपनी ज्ञान की ज्योति से हमें प्रकाशित करते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं. यह कसी भी आयुवर्ग के लोग हो सकते हैं और इनका हमारे जीवन को सफल बनाने में बहुत बड़ा योगदान होता है. हमारे पुराणों में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है. 

इस बीच आज हम आपको दुनिया के पहले टीचर के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके नाम को लेकर अक्सर चर्चाएं होती रहती है. दुनिया के पहले टीचर के रूप में कंफ्यूशियस और अरस्तू को देखा जाता है. कई लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज भी है इन दोनों में से पहला टीचर कौन है तो चलिए जानते हैं

कंफ्यूशियस को क्यों माना जाता है पहला टीचर

जिस समय भारत में भगवान महावीर और बुद्ध धर्म के संबध में नए विचार रख रहें थे उस समय चीन में भी एक विचारक का जन्म हुआ था जिसका नाम कन्फ़्यूशियस था.कन्फ़्यूशियस का जन्म 551 बीसी में चीन में हुआ था. उनके जीवन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन कहा जाता है कि एक शिक्षक के रूप में उनकी अहम भूमिका थी. जानकारी के मुताबिक कंफ्यूशियस का बचपन गरीबी में बीता था जिस वजह से वो कभी स्कूल नहीं गए. कहा जाता है कि वो खुद से संगीत, इतिहास और गणित की पढ़ाई की थी. उनके दौर में केवल राजघराने के बच्चे ही पढ़ते थे इसलिए कंफ्यूशियस चाहते थे हर किसी को शिक्षा मिलनी चाहिए. हालांकि, उन्होंने कभी भी स्कूल में नहीं पढ़ाया लेकिन फिर भी उनके शिष्यों की कमी नहीं थी. इन्ही शिष्यों ने बाद में कंफ्यूशियस की इच्छा पूरी की और लोगों को शिक्षा के लिए जागरूक किया. यही वजह है कि कंफ्यूशियस को दुनिया का पहला शिक्षक कहा जाता है.

अरस्तू को क्यों माना जाता है दुनिया का पहला शिक्षक

अरस्तु प्राचीन यूनानी दार्शनिक थे जिन्हें लोग दुनिया के पहले शिक्षक के रूप में जानते हैं. उनका जन्म स्टेगेरिया नामक नगर में हुआ था और वे प्लेटो के शिष्य और सिकंदर के गुरु थे. अरस्तु ने अपने दौर में सिस्टमेटिक और साइंटिफिक एग्जामिनेशन की शुरुआत की थी. उन्हें तब एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता था जो सर्वज्ञाता यानी सब जानता हो. अरस्तु को दुनिया से सबसे प्रसिद्ध दार्शनिकों में से एक माना जाता है। उन्होंने भौतिक, आध्यात्मिक, कविता, नाटक, संगीत, राजनीति, नीतिशास्त्र आदि विषयों कई ग्रंथ लिखे थे. उन्होंने जीवन में सफलता और सुख पाने के लिए कई नीतियां बताई थीं. यही वजह है कि लोग उन्हें देश के पहला शिक्षक मानते हैं.

निर्विवाद रूप से दुनिया का पहला शिक्षक कौन

कंफ्यूशियस और अरस्तु के कामों को देखते हुए उनके प्रशंसक उन्हें दुनिया का पहला शिक्षक मानते हैं. कंफ्यूशियस और अरस्तू को अपने-अपने स्तर पर महान है जिन्होंने दुनिया के लिए कई नीतियों को बनाया है. इस तरह से हम देखते हैं कि मेसोपोटामिया और प्राचीन मिस्र में पढ़ाई-लिखा कंफ्यूशियस और अरस्तू से काफी पहले शुरू हो गई थी. ऐसे में
प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया के प्राचीन काल में किसी शिक्षक का उल्लेख नहीं मिलता है इसी वजह से लोग कंफ्यूशियस को दुनिया का पहला शिक्षक कह देते हैं पर यह भी निर्विवाद नहीं है.

First Updated : Tuesday, 03 September 2024