ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले ईरान और अमेरिका के बीच बिगड़ी बात, एक-दूसरे के खिलाफ किया मुकदमा, होने वाला है महासंग्राम?
US-Iran Relations: डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए शपथ लेने जा रहे हैं. लेकिन इससे पहले ही ईरान और अमेरिका के बीच रिश्ते बिगड़ते नजर आ रहे हैं. शनिवार को ईरान की एक अदालत ने अमेरिका की सरकार के खिलाफ एक फैसला सुनाया गया है. वहीं अमेरिका के एक परिवार ने भी कोर्ट में हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.
US-Iran Relations: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया है. ईरान की एक अदालत ने अमेरिका की सरकार के खिलाफ एक फैसला सुनाया है, जबकि अमेरिकी पीड़ित परिवारों ने ईरान और उससे जुड़े संगठनों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.
हाल ही में ईरान और अमेरिका के बीच बढ़े विवादों ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है.दोनों पक्षों द्वारा अदालत में उठाए गए कदमों ने संभावित महासंग्राम की आशंका को जन्म दिया है.ये घटनाक्रम दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष को और गंभीर बना रहे हैं.
ईरान की अदालत का फैसला
ईरान की एक अदालत ने शनिवार को अमेरिका को मुआवजा देने का आदेश दिया. अदालत ने फैसला सुनाया कि इराक और सीरिया में अमेरिका समर्थित आतंकवादी समूहों से लड़ते हुए मारे गए ईरानियों के परिवारों को 48.86 अरब अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होगा.
10 मिलियन डॉलर का हर्जाना
फार्स न्यूज एजेंसी के अनुसार, न्यायाधीश माजिद हुसैनजादेह की अदालत में यह फैसला 700 पीड़ित परिवारों द्वारा दायर शिकायतों के आधार पर हुआ. अदालत ने प्रत्येक परिवार को 10 मिलियन डॉलर और दंडात्मक हर्जाने के रूप में 27.92 बिलियन डॉलर का भुगतान करने का निर्देश दिया.
अमेरिकी परिवारों ने दायर किया मुकदमा
अमेरिका में हमास और हिजबुल्लाह के आतंकियों के हमलों से प्रभावित 37 पीड़ित परिवारों ने ईरान और उससे जुड़े संगठनों के खिलाफ मुकदमा दायर किया.अमेरिकी परिवारों ने आरोप लगाया कि ईरान हमास को आर्थिक मदद प्रदान कर रहा है, जिसका उपयोग इजरायल और अमेरिकी नागरिकों पर हमले के लिए किया गया.
हमास-ईरान कनेक्शन के नए सबूत
वादी पक्ष के वकीलों ने दावा किया कि दस्तावेजों से यह प्रमाणित होता है कि ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (IRGC) ने हमास को हर महीने 7 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता दी. इन दस्तावेजों में 2022 की बैठक का जिक्र है, जिसमें हमास और अन्य ईरान समर्थित संगठनों के बीच आपसी रक्षा समझौते की योजना बनाई गई थी.
7 अक्टूबर के हमलों से जुड़ी फंडिंग
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह आर्थिक मदद 7 अक्टूबर के हमास हमले की तैयारी के लिए थी, जिसमें 1200 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें कई अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे. दस्तावेजों में कतर और तुर्की से हमास को फंडिंग का जिक्र है, लेकिन अमेरिका के किसी सहयोगी का नाम शामिल नहीं है.
ईरान और अमेरिका में बढ़ता टकराव
इस मुकदमे और अदालत के फैसलों से ईरान और अमेरिका के बीच तनाव और बढ़ने की संभावना है. दोनों पक्षों के कदम आने वाले दिनों में वैश्विक राजनीति पर गहरा असर डाल सकते हैं.अब देखना होगा कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद इस मामले में क्या रुख अपनाया जाता है.