कभी जल प्रलय तो कभी फट गई धरती... जानिए कब-कहां विनाशकारी भूकंप ने मचाई तबाही

भूकंप एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है, जो पल भर में इमारतों, सड़कों और पुलों को मिट्टी में मिला सकती है. हाल ही में म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई, जिसका असर भारत और थाईलैंड तक देखा गया. थाईलैंड में अब तक 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

धरती जब कांपती है, तो इंसान की बनाई हुई ऊंची-ऊंची इमारतें, पुल और सड़कें पल भर में मिट्टी में मिल जाती हैं. भूकंप का प्रलय ऐसा होता है कि इसकी तबाही के निशान दशकों तक देखे जा सकते हैं. म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने एक बार फिर दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. इसका असर भारत से लेकर थाईलैंड तक देखा गया. थाईलैंड में इस भूकंप की वजह से भारी तबाही हुई और अब तक 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

इतिहास में ऐसे कई भूकंप आए हैं, जिनकी वजह से लाखों लोगों की जान गई और देशों की अर्थव्यवस्था तक बर्बाद हो गई. कहीं सुनामी ने समंदर को उफान पर ला दिया, तो कहीं धरती फट गई और हजारों इमारतें जमींदोज हो गईं. आइए जानते हैं दुनिया के उन सबसे खतरनाक भूकंपों के बारे में, जिन्होंने इंसानियत को हिला कर रख दिया.  

जब समुद्र ने निगल लिए लाखों लोग 

26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के उत्तरी तट के पास 9.1 तीव्रता का भीषण भूकंप आया था. इसने हिंद महासागर में विनाशकारी सुनामी को जन्म दिया, जिसने भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाईलैंड और अफ्रीका के कई देशों में भारी तबाही मचाई. इस प्राकृतिक आपदा में 2,83,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जबकि लाखों लोग बेघर हो गए थे.  

जापान का फुकुशिमा भूकंप और सुनामी 

11 मार्च 2011 को जापान में 9.1 तीव्रता का भूकंप आया, जो आधुनिक इतिहास में सबसे भयानक भूकंपों में से एक था. इस भूकंप के महज आधे घंटे बाद ही एक भीषण सुनामी आई, जिसने जापान के तटीय इलाकों को तबाह कर दिया. सुनामी की लहरें इतनी ऊंची थीं कि उन्होंने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को भी बर्बाद कर दिया, जिससे एक परमाणु संकट पैदा हो गया. इस त्रासदी में करीब 18,000 लोगों की जान चली गई थी.  

रूस का कामचातका भूकंप

4 नवंबर 1952 को रूस के कामचातका प्रायद्वीप में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था. यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इससे पूरे प्रशांत महासागर में सुनामी आ गई. इस प्राकृतिक आपदा में करीब 4,000 लोगों की जान चली गई थी, जबकि कई तटीय इलाकों में भारी तबाही मची थी.  

इक्वाडोर-कोलंबिया भूकंप 

साल 2016 में इक्वाडोर और कोलंबिया में 8.8 तीव्रता के साथ भयानक भूकंप आया था. इस भूकंप के कारण करीब 2,000 लोगों की जान चली गई थी, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए थे. लगातार झटकों के कारण कई इमारतें गिर गईं और सुनामी का खतरा मंडराने लगा.

भारत का कच्छ भूकंप 

भारत के इतिहास में सबसे खतरनाक भूकंपों में से एक 26 जनवरी 2001 को गुजरात के कच्छ में आया था. इस भूकंप की तीव्रता 7.7 थी और इसकी वजह से करीब 20,000 लोगों की मौत हो गई थी. हजारों इमारतें जमींदोज हो गई थीं, जबकि सैकड़ों गांव पूरी तरह तबाह हो गए थे. यह भूकंप इतना भयावह था कि धरती में दरारें तक आ गई थीं.  

सुमात्रा भूकंप 

11 अप्रैल 2012 को इंडोनेशिया के सुमात्रा तट पर 8.6 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था. हालांकि पहले झटके में केवल 10 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन इसके बाद समुद्र में आई सुनामी ने स्थिति को और भी भयानक बना दिया. इस भूकंप ने इंडोनेशिया के तटीय इलाकों में व्यापक नुकसान पहुंचाया था.  

क्या भूकंप से बचाव संभव है? 

भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं को रोक पाना नामुमकिन है, लेकिन सावधानी और सही आपदा प्रबंधन से जानमाल की क्षति को कम किया जा सकता है. जापान जैसे देशों में अत्याधुनिक भूकंपरोधी इमारतें बनाई जाती हैं, जो झटकों को सहने में सक्षम होती हैं. भारत जैसे देशों को भी भूकंप से बचाव के लिए मजबूत बुनियादी ढांचे और जागरूकता अभियान की जरूरत है.  

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29 March 2025, 03:16 PM IST

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