मिट्टी से बनी रोटियां और बिस्किट खाकर जिंदा रहते हैं ये लोग, भूखमरी की दिल दहला देने वाली कहानी
दुनिया के कई देशों में लोग खाने की बर्बादी करते हैं, लेकिन हैती ऐसा देश है जहां के गरीबों की थाली में रोटी नहीं, मिट्टी के बिस्किट हैं. कैरेबियन सागर में बसा हैती भयंकर गरीबी से जूझ रहा है. यहां लोग भूख मिटाने के लिए कीचड़ से बनी रोटियां और बिस्किट खाते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में बोन-बोन टैरेस कहा जाता है.

आज जहां दुनिया के कई हिस्सों में लोग हर दिन हजारों टन खाना बर्बाद कर देते हैं, वहीं कैरेबियन सागर में बसे एक छोटे देश *हैतीमें हालात इतने भयावह हैं कि वहां के गरीब लोग मिट्टी से बनी रोटियां और बिस्किट खाकर अपनी भूख मिटा रहे हैं. यह कहानी सिर्फ गरीबी की नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी विडंबनाओं में से एक है, जहां इंसान जिंदा रहने के लिए जमीन तक को खा रहा है.
हैती में गरीबी ने लोगों को इतना मजबूर कर दिया है कि उनके पास पौष्टिक भोजन, दवाइयां और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं. यही वजह है कि यहां के गरीब लोगों ने पेट भरने का एक भयानक लेकिन मजबूरी भरा तरीका अपना लिया है. मिट्टी से बने बिस्किट.
मिट्टी से बनी रोटियों पर जिंदा हैं लोग
हैती के ग्रामीण और गरीब इलाकों में लोग ऐसी मिट्टी इकट्ठा करते हैं जो खाने लायक मानी जाती है. इस मिट्टी में पानी और थोड़ा सा वनस्पति तेल मिलाकर इसे एक बिस्किट का आकार दिया जाता है, जिसे धूप में सुखाया जाता है. ये बिस्किट स्थानीय भाषा में *"बोन-बोन टैरेस"कहे जाते हैं, जिसका मतलब होता है ‘मिट्टी का बिस्किट’.
भूख मिटाने का एकमात्र सहारा है मिट्टी
इन बिस्किट्स में कोई पोषण नहीं होता, लेकिन लोग इन्हें सिर्फ इसलिए खाते हैं ताकि पेट में कुछ जाए और भूख से राहत मिल सके. डॉक्टरों के अनुसार, इन बिस्किट्स का सेवन करने से शरीर में कई तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं, जैसे- कुपोषण, पेट के संक्रमण और आंतों की समस्याएं.
औसत आय 120 रुपये से भी कम
हैती में गरीबी का स्तर इतना गंभीर है कि यहां के लोगों की औसत दैनिक आय ₹120 से भी कम है. इस आमदनी में लोगों के लिए दूध, फल और सब्जियां खरीदना एक सपना बन गया है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में हर साल 1.3 अरब टन खाद्य सामग्री बर्बाद की जाती है, जो करोड़ों भूखे लोगों का पेट भर सकती है.
दवा और इलाज तक नहीं खरीद सकते
हैती के लोगों के पास अस्पताल जाने या इलाज करवाने तक की क्षमता नहीं है. जिन लोगों के पास खाने को रोटी नहीं, वो दवा कहां से खरीदेंगे? नतीजा ये है कि हर घर में कोई न कोई बीमार है, और मौत अब एक आम बात बन चुकी है.
90% आबादी गरीब
हैती में सामाजिक और आर्थिक असमानता की स्थिति भयावह है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश की 90% आबादी बेहद गरीब है, जबकि 10% अमीरों के पास देश की कुल आय का 70% हिस्सा है. यही असमानता यहां भूखमरी और बेबसी का सबसे बड़ा कारण है.
विशेषज्ञों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही हैती में खाद्य सुरक्षा और पोषण योजनाएं नहीं चलाई गईं, तो आने वाले वर्षों में हालात और भी बुरे हो सकते हैं. मिट्टी के बिस्किट कोई समाधान नहीं हैं, बल्कि एक दर्दनाक संकेत हैं कि इंसान किस हद तक जिंदा रहने के लिए संघर्ष कर सकता है.