ये मुल्‍क अपने ही नागर‍िकों दे रहा देश छोड़ने के पैसे, जानें क्या है पूरा ऑफर

स्‍वीडन अपने नागर‍िकों को स्‍वेच्‍छा से देश छोड़ने का ऑफर दे रहा है. इतना ही नहीं, अच्‍छा खास पैसा भी दे रहा है. इसे voluntary repatriation कहा जा रहा है.बता दें कि स्वीडन में पहले से स्वैच्छिक इमीग्रेशन योजना लागू है, जिसके जरिए शरणार्थियों और प्रवास‍ियों को देश छोड़ने पर 10,000 स्वीडिश क्राउन यानी लगभग 80 हजार रुपये दिए जाते हैं. इतना ही नहीं, देश से जाने का क‍िराया भी सरकार देती है.

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कई लोग ऐसे हैं जिनका सपना होता है कि वह विदेश जाकर अपना करियर सेट करें. ऐसे में सोचिए क्या होगा जब आपके देश की सरकार ही आपको देश छोड़ने के लिए पैसे ऑफर करने लगे. दरअसल यूरोपीय देश स्‍वीडन अपने नागर‍िकों को ऐसा ही ऑफर दे रहा है. स्‍वीडन की इमीग्रेशन मिन‍िस्‍टर मारिया माल्मर स्टेनगार्ड ने ये अनोखा प्रस्‍ताव पेश क‍िया है. इसके मुताबिक, विदेश में पैदा हुए जो भी स्‍वीड‍िश नागर‍िक देश छोड़ना चाहते हैं, वे स्‍वेच्‍छा से जा सकते हैं. इसके ल‍िए उन्‍हें पैसे मिलेंगे. इतना ही नहीं, जाने के ल‍िए क‍िराया भी सरकार की ओर से दिया जाएगा.

बता दें कि स्वीडन में पहले से स्वैच्छिक इमीग्रेशन योजना लागू है, जिसके जरिए शरणार्थियों और प्रवास‍ियों को देश छोड़ने पर 10,000 स्वीडिश क्राउन यानी लगभग 80 हजार रुपये दिए जाते हैं. अगर कोई बच्‍चा स्‍वीडन छोड़कर जाता है, तो उसे 5,000 स्वीडिश क्रोना यानी लगभग 40 हजार रुपये दिए जाते हैं. यह पैसा एक साथ उन्‍हें दिया जाता है. इतना ही नहीं, देश से जाने का क‍िराया भी सरकार देती है. लेकिन अब इसमें अपने नागर‍िकों को भी जोड़ने की तैयारी है.

देश छोड़ने के मिलेंगे पैसे

एक प्रस्ताव पारित किया गया है. जिसके मुताबिक देश छोड़कर जाने वालों को दिए जाने वाले अनुदान 10 हजार स्‍वीड‍िश क्रोना से बढ़ाने की बात भी कही गई, लेकिन उसे सरकार ने खार‍िज कर दिया है. सरकार का कहना है क‍ि इससे संदेश जाएगा क‍ि स्‍वीडन उन्‍हें पसंद नहीं करता. स्‍वीडन में दुनिया के कई देशों से लोग जाकर बस जाते हैं. यही वजह है क‍ि इस देश की आबादी 20 साल में ही दोगुनी हो गई है. माना जा रहा है क‍ि प्रवास‍ियों की संख्‍या में 20 लाख से भी ज्‍यादा हो गई है, जो स्‍वीडन की कुल आबादी का पांचवां ह‍िस्‍सा है. यह देखते हुए 2015 में सरकार ने कई पाबंद‍ियां लगाईं, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा.

कई लोग देश छोड़कर जा रहे 

पिछले साल स्‍वीडन छोड़कर जाने वालों की संख्‍या वहां आकर बसने वालों की संख्‍या से ज्‍यादा थी. बीते 50 साल में ऐसा पहली बार हुआ था. इमीग्रेशन मिन‍िस्‍टर ने कहा, लोग आ तो जाते हैं, लेकिन वे स्‍वीडन के समाज में ढल नहीं पाते. ऐसे लोगों के पास मौका होगा क‍ि वे देश छोड़कर चले जाएं. सरकार उन्‍हें आर्थिक मदद भी मुहैया कराएगी. स्‍वीडन में कई लोग ऐसे हैं, जिनके बच्‍चे इराक, सीरिया और सोमाल‍िया जैसे देशों में भी पैदा हुए, लेकिन अब वे स्‍वीडन आकर रहना चाहते हैं. ऐसे लोगों के ल‍िए भी सरकार का ये ऑफर है. First Updated : Friday, 16 August 2024