सोना सिर्फ धातु नहीं असली ताकत है.... 615 टन सोने के साथ यह देश टॉप पर, सऊदी अरब और मिस्र भी पीछे है इनसे!
मध्य पूर्व में सोने की जबरदस्त होड़ मची हुई है लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे ज्यादा सोना किसके पास है? नहीं ये सऊदी अरब, मिस्र या कतर नहीं है! जिस देश ने सबको पछाड़ दिया है उसके पास 615 टन सोने का भंडार है. लेकिन क्यों बढ़ रही है सोने की इतनी अहमियत? कौन-कौन से देश इस रेस में आगे हैं और तुर्की ने बाकी देशों से इतनी बढ़त कैसे बनाई? पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

International News: आज की दुनिया में जहां भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अस्थिरता बढ़ती जा रही है, सोने का महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है. खासकर मध्य पूर्व के देशों ने इसे अपनी आर्थिक मजबूती का बड़ा हथियार बना लिया है.
इन देशों में सोने का भंडार बढ़ाने की होड़ मची हुई है क्योंकि यह वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता की गारंटी देता है. लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि सऊदी अरब या मिस्र के पास सबसे ज्यादा सोना होगा तो आप गलत हैं. मध्य पूर्व में सबसे ज्यादा सोने का भंडार तुर्की के पास है जिसने 615 टन सोना अपने पास जमा कर रखा है. यह आंकड़ा दिसंबर 2024 के ताजा डेटा पर आधारित है.
कौन है सोने के सबसे बड़े खिलाड़ी?
अगर बात करें मध्य पूर्व के शीर्ष देशों की जो सोने का सबसे बड़ा भंडार रखते हैं, तो सूची कुछ इस प्रकार है:
- तुर्की – 615 टन
- सऊदी अरब – 323 टन
- इराक – 153 टन
- मिस्र – 127 टन
- कतर – 111 टन
- कुवैत – 78.97 टन
तुर्की अपने प्रतिस्पर्धियों से बहुत आगे निकल चुका है. जहां सऊदी अरब के पास 323 टन सोना है, वहीं तुर्की के पास इसका लगभग दोगुना सोना मौजूद है.
सोने का बढ़ता महत्व – सिर्फ गहनों तक सीमित नहीं
अक्सर लोग सोचते हैं कि सोना सिर्फ गहनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन असल में यह किसी भी देश की आर्थिक मजबूती का एक अहम हिस्सा होता है.
- आर्थिक संकट से बचाव – जब भी वैश्विक बाजार में गिरावट आती है, तो देशों के लिए सोना एक सुरक्षा कवच का काम करता है.
- मुद्रास्फीति से सुरक्षा – जब किसी देश की मुद्रा का मूल्य घटता है, तो सोना उसकी भरपाई करता है.
- निवेशकों का भरोसा – सोने का बड़ा भंडार निवेशकों को आश्वस्त करता है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है.
- भविष्य के लिए बचत – यह एक तरह से राष्ट्रीय संपत्ति है, जो देश को कठिन समय में उबार सकता है.
तुर्की ने कैसे बनाई बढ़त?
तुर्की ने सोने के भंडार को बढ़ाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में आक्रामक नीति अपनाई है.
- केंद्रीय बैंक की रणनीति – तुर्की का केंद्रीय बैंक लगातार सोने की खरीद कर रहा है ताकि विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम हो.आर्थिक स्थिरता – तुर्की इस कदम से अपनी अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से बचाने की तैयारी कर रहा है.
- भविष्य की सुरक्षा – वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए तुर्की खुद को वित्तीय रूप से मजबूत करने में जुटा है.
भविष्य में सोने की क्या भूमिका होगी?
मध्य पूर्व के देशों ने यह अच्छी तरह समझ लिया है कि सोने का भंडार बढ़ाने से उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. वैश्विक स्तर पर जब भी संकट आता है, सोने की मांग और कीमतें दोनों बढ़ जाती हैं.
- भविष्य में तुर्की और अन्य देश सोने के भंडार को और बढ़ाने पर जोर देंगे.
- तेल से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा अब सोने में निवेश किया जा रहा है.
- सोना धीरे-धीरे वैश्विक अर्थव्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति के रूप में उभर रहा है.
सोना है असली ताकत
मध्य पूर्व के देश अब सिर्फ तेल पर निर्भर नहीं रहना चाहते. वे अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सोने के भंडार बढ़ा रहे हैं. तुर्की इस दौड़ में सबसे आगे निकल चुका है और 615 टन सोने के साथ इस क्षेत्र में टॉप पर है.भविष्य में आर्थिक अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि सोना केवल एक धातु नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संपत्ति है, जो देशों को वित्तीय मजबूती देने में सबसे अहम भूमिका निभाएगा.