कनाडा के प्रधानमंत्री की रेस में भारतीय मूल की इस नेता का नाम सबसे आगे, इंडिया से है बेहद खास संबंध
अनीता आनंद अपने प्रभावशाली शासन और सार्वजनिक सेवा के अच्छे रिकॉर्ड के कारण सबसे मजबूत दावेदारों में एक मानी जा रही हैं. अगर अनीता आनंद कनाडा की पीएम बनती है तो उम्मीद की जा सकती है कि कनाडा के रिश्ते भारत के साथ फिर से अच्छे हो सकते हैं, जो ट्रूडो के वक्त अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. ट्रूडो करीब 10 साल तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे. उनके इस्तीफे के बाद अब राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. उनके उत्तराधिकारी की चर्चा तेज हो गई है. कनाडा के अगले प्रधानमंत्री की रेस में भारतीय मूल की अनीता आनंद, पियरे पोलीवरे, क्रिस्टिया फ्रीलैंड और मार्क कॉर्नी जैसे प्रमुख नाम सामने आ रहे हैं.
इनमें से अनीता आनंद अपने प्रभावशाली शासन और सार्वजनिक सेवा के अच्छे रिकॉर्ड के कारण सबसे मजबूत दावेदारों में एक मानी जा रही हैं. अगर अनीता आनंद कनाडा की पीएम बनती है तो उम्मीद की जा सकती है कि कनाडा के रिश्ते भारत के साथ फिर से अच्छे हो सकते हैं, जो ट्रूडो के वक्त अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई.
आपको बता दें कि कनाडा में भारतीय मूल के लोगों की अच्छी-खासी तादाद है. इस वजह से किसी भारतीय मूल के व्यक्ति का पीएम बनना इंडिया के लिए अच्छे संकेत दे सकता है. इससे पहले ट्रूडो के शासनकाल में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का झूठा आरोप भारत पर लगा दिया गया था, जिसके बाद दोनों देश के रिश्ते खराब हो गए. कनाडाई सरकार ने इस संबंध में कोई ठोस सबूत भी पेश नहीं किए. नतीजा ये हुआ कि पार्टी के अंदर ही ट्रूडो के रिश्ते अन्य नेताओं के साथ खराब होते चले गए. कई लोगों ने उनकी इस्तीफे की मांग कर दी.
मैं किसी लड़ाई से पीछे नहीं हटता- ट्रूडो
लगभग एक दशक तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहने के बाद, जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफे की घोषणा की. उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे मुख्य कारण मतदाताओं का समर्थन खोना और लिबरल पार्टी के भीतर आंतरिक संघर्षों का हवाला दिया. ट्रूडो ने स्पष्ट किया कि वह तब तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे जब तक कि पार्टी का नया नेता चुना नहीं जाता. उन्होंने कहा, "मैं किसी लड़ाई से पीछे नहीं हटता, विशेष रूप से जब वह हमारे देश और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो. लेकिन कनाडा के लोगों के हित और लोकतंत्र की भलाई मेरे लिए सर्वोपरि हैं."
प्रधानमंत्री को लेकर दावेदारी की दौड़ तेज
लिबरल पार्टी के भीतर अगले प्रधानमंत्री को लेकर दावेदारी की दौड़ तेज हो गई है. इसको ध्यान में रखते हुए संसद के सत्र को 27 जनवरी से 24 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है, ताकि लिबरल पार्टी के पास अपने नए नेता का चुनाव करने का समय मिल सके. इस दौरान विपक्षी दलों ने भी लिबरल पार्टी को चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे नए नेता के चुने जाने के बाद वसंत चुनाव की संभावना बन रही है. इन सब के बीच बीबीसी की तरफ से भारतीय मूल की नेता अनीता आनंद को उन 5 उम्मीदवारों में गिना गया है, जो जस्टिन ट्रूडो की जगह ले सकते हैं.
अनीता आनंद परिवहन और आंतरिक मंत्री
भारतीय मूल की अनीता आनंद को बीबीसी द्वारा उन शीर्ष पांच उम्मीदवारों में गिना गया है, जो जस्टिन ट्रूडो की जगह ले सकते हैं. 57 वर्षीय अनीता आनंद मौजूदा वक्त में देश की परिवहन और आंतरिक मंत्री के रूप में रूप में कार्यरत हैं. अपनी शैक्षणिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण वह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्ती के रूप में उभरी हैं. अनीता आनंद ने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से राजनीतिक अध्ययन में स्नातक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से न्यायशास्त्र में स्नातक, डलहौजी विश्वविद्यालय से विधि स्नातक, और टोरंटो विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की पढ़ाई की है. इसके अलावा, उन्होंने येल, क्वीन्स यूनिवर्सिटी, और वेस्टर्न यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाया है. राजनीति में प्रवेश करने से पहले, वह टोरंटो विश्वविद्यालय में विधि की प्रोफेसर थीं.
अनीता आनंद का फैमिली बैकग्राउंड
अनीता आनंद का जन्म नोवा स्कोटिया के केंटविले में हुआ था. उनके माता-पिता, सरोज डी. राम और एस.वी. (एंडी) आनंद, दोनों भारतीय चिकित्सक थे. उनकी दो बहनें, गीता और सोनिया आनंद, भी अपने-अपने क्षेत्रों में सफल हैं. अनीता आनंद ने 2019 में राजनीति में प्रवेश किया और तब से लिबरल पार्टी की सबसे महत्वाकांक्षी सदस्यों में से एक बन गई. उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां उन्हें वैक्सीन खरीदने के उनके प्रयासों के लिए सराहा गया. 2021 में, उन्हें कनाडा की रक्षा मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.