ट्रम्प के चुनाव के बाद ट्रांसजेंडर छात्रों में बढ़ी चिंता, संकट हेल्पलाइनों पर बाढ़

ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रांसजेंडर और नॉनबाइनरी युवाओं की परेशानियां बढ़ गई हैं. उनके अधिकारों पर हमले और चुनावी प्रचार ने कई किशोरों को मानसिक दबाव में डाल दिया है. संकट हेल्पलाइनों पर कॉल्स की संख्या कई गुना बढ़ गई है और ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए सुरक्षा में बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है. जानिए कैसे ये युवा अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और उनके लिए क्या उम्मीद की किरण है. पूरा पढ़ने के लिए क्लिक करें!

Aprajita
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Transgender Rights Under Threat: डोनाल्ड ट्रम्प के चुनावी अभियान के दौरान ट्रांसजेंडर अधिकारों के खिलाफ उनके कठोर रुख ने लाखों ट्रांसजेंडर और नॉनबाइनरी युवाओं के बीच चिंता और तनाव को जन्म दिया है. जब से ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद संभाला है, तब से ट्रांसजेंडर युवाओं ने संकट हेल्पलाइनों पर अपार कॉल्स किए हैं, खासकर उन ट्रांसजेंडर बच्चों ने जो राजनीतिक रूप से उनके अधिकारों पर हमले से परेशान हैं. ट्रम्प ने अपने अभियान में ट्रांसजेंडर छात्रों पर शिक्षा में कड़े प्रतिबंध लगाने की बात की थी, जिनमें टाइटल IX सुरक्षा को हटाना और छात्रों के सर्वनामों, बाथरूम्स और लॉकर रूम के उपयोग पर नियंत्रण स्थापित करना शामिल था.

संकट हेल्पलाइनों पर असाधारण बढ़ोतरी

ट्रांसजेंडर और नॉनबाइनरी युवाओं के लिए विशेष रूप से एक संकट हॉटलाइन, रेनबो यूथ प्रोजेक्ट ने पिछले 10 दिनों में 5,500 से ज्यादा कॉल्स प्राप्त की हैं, जो आमतौर पर हर महीने 3,700 कॉल्स होते थे. यह स्थिति ट्रम्प के प्रचारों के बाद और भी गंभीर हो गई है, जिसमें ट्रांसजेंडर और नॉनबाइनरी लोगों को एक खतरे के रूप में चित्रित किया गया है. इस प्रचार के कारण कई किशोरों ने खुद को असुरक्षित और अकेला महसूस किया और वे आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे थे.

ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए सुरक्षा की चिंताएँ

ट्रम्प के प्रशासन में बदलाव की संभावना के चलते, इन बच्चों के लिए संकट बढ़ता जा रहा है. उन्होंने वादा किया है कि वे 'केवल दो लिंग' की बात करेंगे और ट्रांसजेंडर युवाओं के लिए हार्मोनल और सर्जिकल हस्तक्षेप पर प्रतिबंध लगाएंगे. इसके अलावा, ट्रम्प ने स्कूलों में ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए विशेष नियमों के खिलाफ कानून बनाने की बात भी की है, जो उनके लिए और भी कठिनाइयाँ पैदा कर सकती हैं.

उपाय और आशा

ट्रांसजेंडर और नॉनबाइनरी युवाओं की मदद के लिए कई संगठन, जैसे इट गेट्स बेटर और रेनबो यूथ प्रोजेक्ट, वर्चुअल ग्रुप्स और ऑनलाइन सहायता प्रदान कर रहे हैं. इन समूहों का उद्देश्य युवा पीढ़ी को सुरक्षित और समावेशी वातावरण प्रदान करना है, जहां वे अपने संघर्षों के बारे में खुलकर बात कर सकें. हालांकि ट्रम्प प्रशासन के फैसलों से एक असुरक्षा का माहौल है, इन युवाओं के लिए ऐसे समुदायों की मदद बहुत मायने रखती है.

भविष्य के लिए उम्मीद और समर्थन

वहीं दूसरी ओर, ट्रांसजेंडर और LGBTQ+ समुदाय से जुड़े लोग यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि इन युवाओं को अपने अधिकारों और पहचान के लिए लड़ने की ताकत मिले. एक ट्रांसजेंडर छात्र ने कहा, 'आप अकेले नहीं हैं, हम सब एकजुट हैं और इस मुश्किल समय से बाहर निकलेंगे.'

इस कठिन समय में, ट्रांसजेंडर और नॉनबाइनरी युवाओं की चिंताएँ बढ़ गई हैं, लेकिन उनकी मदद के लिए समुदाय और संगठनों का समर्थन जारी है. यह संघर्ष व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों तरह से बड़ा है और इन बच्चों को समान अधिकार मिलने तक यह लड़ाई जारी रहेगी.

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13 November 2024, 07:22 PM IST

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