ट्रंप के 100 दिन के प्लान से मचा भूचाल, जेलेंस्की की बढ़ी चिंता! यूरोप में कोहराम
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के नए शांति प्रस्ताव ने यूरोप में हलचल मचा दी है. उनके 100 दिन के प्लान से यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की चिंता बढ़ गई है. जेलेंस्की ने नाटो देशों से आपातकालीन बातचीत शुरू कर दी है ताकि युद्धविराम को रोका जा सके.
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के नए शांति प्रस्ताव ने यूरोप में हलचल मचा दी है. उनके 100 दिन के प्लान से यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की चिंता बढ़ गई है. जेलेंस्की ने नाटो देशों से आपातकालीन बातचीत शुरू कर दी है ताकि युद्धविराम को रोका जा सके.
ट्रंप के इस प्लान का असर यह हो सकता है कि रूस को यूक्रेन पर बड़े हमले का मौका मिल जाए. खासकर जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही युद्धविराम के किसी भी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं. अब सवाल यह है कि आखिर ट्रंप का 100 दिन का प्लान क्या है और क्यों जेलेंस्की इससे घबराए हुए हैं? तो चलिए जानते हैं.
ट्रंप का 100 दिन का क्या है प्लान
डोनाल्ड ट्रंप पहले तत्काल युद्धविराम की वकालत कर रहे थे, लेकिन पुतिन की असहमति के बाद उन्होंने अब 100 दिन में युद्धविराम का ब्लूप्रिंट तैयार करने की योजना बनाई है. इस दौरान रूस को यूक्रेन में अपनी सैन्य बढ़त बनाने का मौका मिल सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन पर रूस का पूरी तरह कब्जा हो सकता है.
ट्रंप के इस प्लान के मुताबिक –
- युद्धविराम के लिए 100 दिन का समय दिया जाएगा.
- इस दौरान यूक्रेन को रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों को छोड़ना होगा.
- रूस पर लगे प्रतिबंध हटाने की बात भी शर्तों में शामिल हो सकती है.
- अगर यूक्रेन झुकता नहीं है, तो अमेरिका की मदद सीमित हो सकती है.
पुतिन का प्लान – जंग में नया मोड़!
रूस ने अपनी सैन्य कार्रवाई को और तेज कर दिया है. रूसी सेना तेजी से आगे बढ़ रही है और गुड फ्राइडे से पहले अधिकतम यूक्रेनी इलाकों पर कब्जा करने की रणनीति बना रही है.
पुतिन का नया प्लान
कुर्स्क से यूक्रेनी सेना को पूरी तरह हटाना.
उत्तरी कोरिया और चीन की सैन्य मदद से रूस की ताकत बढ़ाना.
युद्धविराम से पहले यूक्रेन को अधिकतम नुकसान पहुंचाना.
रूस को अब उत्तर कोरिया और चीन का समर्थन मिल रहा है. पहले किम जोंग उन ने अपने सैनिक भेजे थे, अब शी जिनपिंग ने भी चीनी सैनिकों को कुर्स्क और अन्य प्रमुख इलाकों में तैनात कर दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी सैनिक अब फ्रंटलाइन पर रूस के लिए लड़ रहे हैं.
पेंटागन भी अलर्ट, चीन की भागीदारी से चिंता बढ़ी!
यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि रूस-चीन गठबंधन अब खुले तौर पर युद्ध में भाग ले रहा है. पेंटागन के लिए यह सबसे बड़ा झटका है, क्योंकि इससे जंग का दायरा और बड़ा हो सकता है. चीनी सैनिकों की तैनाती पर एक सैन्य अधिकारी ने कहा, "सभी सैनिक मेरी बात ध्यान से सुनें, यह आपका पहला युद्ध है, इसे जीतने के लिए तैयार रहिए."इससे साफ है कि चीन सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि सीधी सैन्य सहायता भी दे रहा है.
यूक्रेनी सेना का रूस की ओर बढ़त जारी
रूस ने कुर्स्क में चक्रव्यूह रच दिया है, जिससे यूक्रेनी सेना तीन तरफ से घिर चुकी है. रूस ने अब तक आधे से ज्यादा कुर्स्क पर कब्जा कर लिया है और डोनेस्क तथा नोवोसिल्का इलाकों में भी बढ़त बना ली है. रूसी सेना को अब बाहरी लड़ाकों की मदद भी मिल रही है. क्रेमलिन ने घोषणा की है कि विदेशी सैनिकों को 1600-2400 यूरो (लगभग 1.5-2.5 लाख रुपए) मासिक वेतन और रूसी नागरिकता दी जाएगी. इससे अधिक संख्या में विदेशी लड़ाके युद्ध में शामिल हो सकते हैं.
ट्रंप की शर्तें – यूक्रेन के लिए मुश्किलें बढ़ीं?
ट्रंप के शांति प्रस्ताव में यूक्रेन के लिए कई सख्त शर्तें हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं –
रूस के कब्जे वाले इलाकों को यूक्रेन को छोड़ना होगा.
रूस को नाटो द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से राहत दी जाएगी.
यूक्रेन को युद्धविराम के लिए 100 दिन के भीतर फैसला लेना होगा.
अगर जेलेंस्की इस शांति योजना को मानते हैं, तो इसका मतलब यूक्रेन को अपनी जमीन से समझौता करना होगा.
यूक्रेन का जवाब – "यह सिर्फ रूसी प्रोपेगेंडा है!"
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ट्रंप के 100 दिन वाले प्लान को खारिज करते हुए इसे "रूसी प्रोपेगेंडा" बताया है. उन्होंने कहा, "हम पूरी ताकत से रूस के खिलाफ लड़ रहे हैं, कुर्स्क और सूमी में हमारी सेना आगे बढ़ रही है." हालांकि, सैन्य रिपोर्ट्स कहती हैं कि यूक्रेन के 50,000 से ज्यादा सैनिक पीछे हट चुके हैं.
क्या ट्रंप के प्लान से बदलेगा युद्ध का समीकरण?
डोनाल्ड ट्रंप का 100 दिन का प्लान केवल एक शांति प्रस्ताव नहीं, बल्कि यूक्रेन और नाटो के लिए एक बड़ा उलटफेर साबित हो सकता है. रूस इस समय युद्ध में बढ़त बना रहा है और अगर ट्रंप की शर्तें लागू होती हैं, तो इसका सबसे बड़ा नुकसान यूक्रेन को उठाना पड़ेगा.