Donald Trump का ट्रांसजेंडर्स पर बड़ा फैसला, अमेरिकी सेना में भर्ती पर रोक
फौज में नौकरी करने वाले ट्रांसजेंडर अब मुश्किकल में आ सकते हैं। ट्रंप ने लगात उनको बाहर निकालने का प्लान बना लिया है। अब फैसला आएगा कि अमेरिकी फौज में ट्रांसजेंडर काम नहीं कर सकते. 2025 में जनवरी में जब ट्रंप शपथ लेंगे तो कई बड़े फैसले ले सकते हैं।
Transgenders in US Military: राष्ट्रपति डोनालड ट्रंप का एक नया फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है। इस फैसले के अनुसार अब अमेरिकी फौज में जो ट्रांसजेंडर्स काम करते हैं उन्हें सेना से बाहर भेजना का नया फरमान आ सकता है. इस फैसले से ट्रांसजेंडर्स मुश्किल में पड़ सकते हैं, क्योंकि ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में भी कई हैरानी करने वाले फैसले लिए थे. अब इस कार्यकाल में वह फिर चर्चा का विषय बनने वाले फैसले ले सकते हैं
क्या कहती है रिपोर्ट?
द संडे टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान सेना में ट्रांसजेंडर्स की नई भर्तियों पर रोक लगाई थी। हालांकि, उस समय पहले से कार्यरत ट्रांसजेंडर्स को काम जारी रखने की अनुमति दी गई थी। इस बार, रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप न केवल नई भर्तियों पर रोक लगाएंगे बल्कि मौजूदा ट्रांसजेंडर सैनिकों को भी सेना से हटाने की योजना बना रहे हैं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ट्रंप संभवतः 20 जनवरी 2025 को, राष्ट्रपति पद संभालते ही, इस फैसले को लागू कर सकते हैं।
अमेरिकी सेना में ट्रांसजेंडर्स की स्थिति
फिलहाल अमेरिकी सेना में लगभग 15,000 ट्रांसजेंडर सैनिक सेवा दे रहे हैं। ट्रंप लंबे समय से सेना में ट्रांसजेंडर्स की भागीदारी का विरोध करते रहे हैं। इसके साथ ही, वे खेल आयोजनों में भी ट्रांसजेंडर एथलीट्स को शामिल करने का विरोध करते आए हैं।
ट्रंप के सहयोगियों का रुख
ट्रंप के संभावित रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का भी ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति कड़ा रुख है। हेगसेथ ने पहले तर्क दिया था कि महिलाओं और ट्रांसजेंडर्स की भर्ती से सेना की क्षमता कमजोर हो रही है। वहीं, वेंस ने हाल ही में एक विवादित बयान दिया था कि श्वेत बच्चों को ट्रांस बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि वे बेहतर कॉलेज में प्रवेश पा सकें।
LGBTQIA+ समुदाय की बढ़ती चिंताएं
डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला LGBTQIA+ को बड़ी मुश्किल में डाल सकता है. यह न केवल ट्रांसजेंडर सैनिकों के करियर को प्रभावित करेगा बल्कि सेना में समावेशन और विविधता की कोशिशों को भी बड़ा झटका दे सकता है। आने वाले समय में यह मुद्दा राजनीतिक और सामाजिक बहस का बड़ा केंद्र बन सकता है।