ट्रूडो पर चला ट्रंप की दहशत का डंडा, खालिस्तानियों को लेकर कनाडा पीएम ने बदले तेवर
यू-टर्न लेते हुए खालिस्तान मुद्दे पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का रुख अब बदलता नजर आ रहा है। इस बदलाव के पीछे अमेरिकी राजनीति का दबाव और विशेष रूप से डोनाल्ड ट्रंप का प्रभाव कितना है, यह सवाल उठने लगा है। कनाडा और भारत के बीच बढ़ते तनाव के बीच, ट्रूडो ने खालिस्तान पर अपने रुख को नरम कर दिया है। क्या यह परिवर्तन ट्रंप के राजनीतिक दबाव का नतीजा है, या इसके पीछे कोई और कारण हैं?
नई दिल्ली. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में दोबारा वापसी ने कई देशों में हलचल मचा दी है. इन देशों में सबसे ज़्यादा चिंता कनाडा को लेकर सामने आ रही है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जो खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरम रवैया अपनाते थे, अब अपना रुख बदलते दिख रहे हैं. हाल ही में, ट्रूडो ने सार्वजनिक मंच से स्पष्ट किया कि खालिस्तान समर्थक पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. उन्होंने यह बयान दिवाली के एक कार्यक्रम के दौरान दिया, जिससे यह संदेश गया कि कनाडा अब खालिस्तान समर्थकों को लेकर अधिक सतर्क है.
ट्रंप को बधाई, अमेरिका-कनाडा मित्रता का जिक्र
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने उन्हें बधाई दी और दोनों देशों के बीच मित्रता को और मजबूत बनाने की बात कही. ट्रूडो का यह तीसरा कार्यकाल है, जबकि ट्रंप का यह दूसरा कार्यकाल होगा. इन दोनों नेताओं के रिश्ते पहले काफी तनावपूर्ण रहे हैं. सितंबर में, ट्रंप ने अपनी किताब में एक पुराने अफवाह को हवा दी थी, जिसमें जस्टिन ट्रूडो को क्यूबा के पूर्व तानाशाह फिदेल कास्त्रो का बेटा बताया गया था.
ट्रंप की वापसी से कनाडा पर असर नहीं पड़ेगा: क्रिस्टिया फ़्रीलैंड
हालांकि, ट्रूडो और उनकी डिप्टी प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ़्रीलैंड ने अमेरिका में ट्रंप की वापसी के बाद देशवासियों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि इस बदलाव का कनाडा पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा. ओटावा में मीडिया से बातचीत में ट्रूडो ने कहा, "हम इसके लिए पहले से तैयारी कर रहे थे. हम कनाडा और अमेरिका के बीच की गहरी मित्रता का लाभ उठाते हुए वैश्विक स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. "
अमेरिका पर निर्भरता से प्रभावित हो सकता है कनाडा
कनाडा की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा अमेरिका पर निर्भर है. लगभग 75% कनाडाई निर्यात अमेरिका को होता है. ऐसे में, अगर ट्रंप की नीतियां कनाडा के लिए प्रतिकूल साबित होती हैं, तो कनाडा की अर्थव्यवस्था पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. ट्रंप की वापसी के तुरंत बाद, ट्रूडो ने विशेष कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाई ताकि संभावित आर्थिक और राजनीतिक प्रभावों पर चर्चा की जा सके.
भारत-कनाडा के बीच खालिस्तान का मुद्दा
भारत और कनाडा के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण खालिस्तान समर्थक निज्जर की हत्या रही है. कनाडा ने इस हत्या के लिए भारत पर आरोप लगाया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया. भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस हत्या में उसकी कोई भूमिका नहीं है. इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ा है. ट्रूडो के ताजा बयान ने खालिस्तान समर्थकों और सिख समुदाय को अलग-अलग मानने का संकेत दिया है, जिससे भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद की जा सकती है.
ट्रंप की नीतियों पर कनाडा की चिंता
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के साथ ही कनाडा में इस बात को लेकर चिंता बढ़ गई है कि उनकी नीतियां कनाडा की जलवायु, व्यापार, सुरक्षा और आप्रवासन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं. उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ़्रीलैंड ने कहा, "बहुत सारे कनाडाई इस बदलाव को लेकर चिंतित हैं, लेकिन मैं यह आश्वस्त करना चाहती हूं कि अमेरिका के साथ हमारे मजबूत संबंध हैं. और कनाडा किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है.
कनाडा-अमेरिका संबंधों का भविष्य
अमेरिका-कनाडा के बीच ऐतिहासिक रूप से दोस्ताना संबंध रहे हैं, लेकिन ट्रंप की नीतियों के कारण इन संबंधों पर दबाव बढ़ सकता है. ट्रूडो और फ़्रीलैंड की ओर से दिए गए आश्वासनों से कनाडाई नागरिकों को भरोसा मिला है कि देश अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेगा.