ईरान-अमेरिका परमाणु वार्ता से पहले ट्रंप की चेतावनी: परमाणु मुद्दे पर बनी अनिश्चितता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया बयान में कहा है कि पिछले 18 महीनों से मध्य पूर्व में जारी अशांति के चलते ईरान अब काफी कमजोर हो गया है. ट्रंप का मानना है कि ईरान अब वाशिंगटन के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम पर समझौते के लिए राजी हो सकता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि यदि अमेरिका और तेहरान के बीच परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत सफल नहीं होती तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. उन्होंने दावा किया कि बीते 18 महीनों से मध्य पूर्व में लगातार तनाव और सैन्य दबाव के चलते ईरान अब कमजोर हो चुका है और संभवतः अपने परमाणु कार्यक्रम को छोड़ने पर विचार कर रहा है.
ट्रंप की चाह
ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची के बीच यह अहम वार्ता ओमान में शनिवार से शुरू होने जा रही है. फ्लोरिडा रवाना होते समय ट्रंप ने एयर फोर्स वन विमान में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि ईरान एक समृद्ध और खुशहाल राष्ट्र बने, लेकिन उसे परमाणु हथियार रखने की अनुमति नहीं है.
इस बीच, क्षेत्रीय हालात भी तेजी से बदल रहे हैं. गाजा और लेबनान में ईरान समर्थित संगठनों हमास और हिज़बुल्लाह को इजरायली हमलों के चलते भारी नुकसान हुआ है. वहीं, यमन में अमेरिका द्वारा हौथी विद्रोहियों के ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों में तेल संयंत्रों और मिसाइल ठिकानों को नष्ट किया गया है. ईरान की आर्थिक स्थिति भी लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण डगमगा रही है. इन सबके बीच अमेरिकी वित्त विभाग ने इस सप्ताह पांच कंपनियों और एक व्यक्ति पर नए प्रतिबंध लगाए हैं, जिनका संबंध ईरान के परमाणु कार्यक्रम से बताया जा रहा है.
यूरेनियम की बड़ी मात्रा
हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका कोई ऐसा प्रस्ताव पेश कर पाएगा, जो ईरान को परमाणु कार्यक्रम छोड़ने के लिए राजी कर सके. उल्लेखनीय है कि ट्रंप ने 2015 में हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर दिया था. उस समझौते के तहत ईरान को 3.67% संवर्धित यूरेनियम का सीमित भंडारण की अनुमति थी. वहीं, इस समय उसके पास हथियार-स्तर के करीब संवर्धित यूरेनियम की बड़ी मात्रा मौजूद है.