पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम एक बार फिर से खतरे में पड़ गया है. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों ने 9 जनवरी को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से 16 पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिकों और कर्मचारियों का अपहरण कर लिया. यह घटना अफगानिस्तान से सटी सीमा के पास हुई. पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि उसने आठ कर्मचारियों को सुरक्षित रूप से रिहा करा लिया है.
आतंकवादियों ने कहा था कि वे पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को भी निशाना बनाएंगे, जबकि पाक सेना ने दावा किया कि ये कर्मचारी सामान्य थे. हालांकि, टीटीपी ने उनके पहचान पत्र जारी कर यह कहा कि वे पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग (पीएईसी) के लिए काम करते हैं. इस घटना के बाद यह भी जानकारी सामने आई है कि आतंकवादियों ने पाकिस्तान की सबसे बड़ी यूरेनियम खदान से यूरेनियम लूट लिया.
अगर यह दावा सही है, तो यह वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से गंभीर संकट पैदा कर सकता है, क्योंकि कई आतंकवादी समूह यूरेनियम का उपयोग "गंदे बम" बनाने में कर सकते हैं. इन वैज्ञानिकों का अपहरण पाकिस्तान के परमाणु बम कार्यक्रम के लिए एक बड़े खतरे की ओर इशारा है.
टीटीपी के आतंकवादियों ने इन वैज्ञानिकों का अपहरण बंदूक की नोक पर किया और उनकी कारों में आग लगा दी. बाद में उन्होंने एक वीडियो जारी कर पाकिस्तानी सेना से अपनी मांग पूरी करने की चेतावनी दी. रिपोर्ट्स के अनुसार, एक कर्मचारी को गंभीर हालत में रिहा किया गया है.
शरिया कानून लागू करना उद्देश्य
टीटीपी का उद्देश्य पाकिस्तान सरकार को हटाकर शरिया कानून लागू करना है. उनका दावा है कि अगर पाकिस्तानी सेना इनके खिलाफ सैन्य अभियान नहीं रोकेगी, तो ये वैज्ञानिकों की रिहाई चाहते हैं. पाकिस्तान के पास वर्तमान में 170 परमाणु बम हैं. वह अपनी परमाणु क्षमता को बढ़ाने में लगा हुआ है. इसके साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के सत्ता में आने के बाद टीटीपी के हौंसले और भी बढ़ गए हैं. अमेरिकी विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि पाकिस्तान इन आतंकवादियों पर काबू नहीं पा सका, तो यह गंभीर परिणामों की ओर ले जा सकता है. पाकिस्तान के परमाणु हथियार आतंकवादियों के हाथों में जा सकते हैं, जिससे वैश्विक सुरक्षा को बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है. First Updated : Friday, 10 January 2025