यूक्रेन ने 100 उत्तर कोरियाई सैनिकों को ढेर किया, किम जोंग उन की सेना ने बदली रणनीति
North Korean Army in Russia: डीआईयू के बयान में कहा गया है कि गंभीर नुकसान झेलने के बाद उत्तर कोरिया की इकाइयों ने यूक्रेन के सुरक्षा और रक्षा बलों के ड्रोन का पता लगाने के लिए अतिरिक्त निगरानी चौकियां स्थापित करनी शुरू कर दी.
North Korean Army in Russia: यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में रूस द्वारा भेजे गए उत्तर कोरियाई सैनिकों ने अब यूक्रेनी ड्रोन का पता लगाने के लिए और अधिक निगरानी चौकियां स्थापित की हैं. यह जानकारी यूक्रेन की सैन्य खुफिया सेवा ने दी है. खबरों के अनुसार, उत्तर कोरियाई सैनिकों को युद्ध में भारी नुकसान हुआ है.
यूक्रेन की रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईयू) ने मंगलवार को अपनी वेबसाइट पर बताया कि अमेरिका ने भी यह पुष्टि की है कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस के साथ-साथ उत्तर कोरिया को भी काफी नुकसान हुआ है. डीआईयू के बयान में कहा गया, "गंभीर नुकसान झेलने के बाद, उत्तर कोरिया की सेनाओं ने यूक्रेन के सुरक्षा बलों के ड्रोन का पता लगाने के लिए अतिरिक्त निगरानी चौकियां स्थापित करना शुरू कर दिया है."
100 उत्तर कोरियाई सैनिकों को यूक्रेन ने मार गिराया
इसके अलावा, यह भी बताया गया कि रूस अभी भी उत्तर कोरियाई सैनिकों का उपयोग पश्चिमी सीमा क्षेत्र कुर्स्क में कर रहा है. योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार, "कुर्स्क क्षेत्र में उत्तर कोरियाई सैनिकों द्वारा लगातार हमला करने वाले समूहों के इकट्ठा होने से यह पता चलता है कि रूस आक्रामक कार्रवाई की गति बनाए रखना चाहता है."
बौखलाए किम जोंग उन की सेना ने युद्ध में अब अपनाई ये स्ट्रेटजी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि उत्तर कोरियाई सैनिक अपनी पहचान को छिपाने के लिए लालफीताशाही का इस्तेमाल करते हैं. दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी ने बताया कि रूस भेजे गए कम से कम 100 उत्तर कोरियाई सैनिक मारे गए हैं और लगभग 1,000 घायल हुए हैं. इन सैनिकों की मौत का कारण बताया गया है कि उनके पास ड्रोन के साथ अनुभव की कमी थी, और उन्हें युद्ध के अग्रिम मोर्चे पर तैनात किया गया था.
रूस की सेना ने शिकायत की
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि रूस की सेना ने शिकायत की है कि उत्तर कोरियाई सैनिकों की ड्रोन के बारे में जानकारी की कमी के कारण वे "बोझ" बन गए हैं. खुफिया सेवा के अनुसार, कुर्स्क सीमा क्षेत्र में तैनात करीब 11,000 उत्तर कोरियाई सैनिकों में से कुछ को वास्तविक युद्ध में भेजा गया था.