जम्मू-कश्मीर हमले पर UNSC सख्त! आतंकियों के साथ फाइनेंसर और सपोर्टर पर कार्रवाई की मांग
UNSC on Pahalgam attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने कड़ी निंदा की है. परिषद ने इस हमले को 'शर्मनाक' करार देते हुए दोषियों, योजनाकारों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की है.

UNSC on Pahalgam attack: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी. UNSC ने इस हमले को 'शर्मनाक' करार देते हुए जोर देकर कहा कि इसके पीछे शामिल अपराधियों, योजनाकारों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए.
15 देशों की सदस्यता वाली UNSC ने शुक्रवार को एक प्रेस बयान जारी करते हुए आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया. परिषद ने सभी देशों से अपील की है कि वे अंतरराष्ट्रीय कानूनों और UNSC प्रस्तावों के अनुसार, जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई में सक्रिय सहयोग करें.
UNSC ने हमले को बताया 'शर्मनाक'
UNSC ने अपने प्रेस बयान में कहा, 22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर में हुए आतंकी हमले की सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने कड़े शब्दों में निंदा की, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए और कई घायल हुए. बयान में इस घटना को आतंकवाद का शर्मनाक कृत्य बताया गया और इसके जिम्मेदार लोगों को सजा देने की मांग की गई.
पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना
सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पीड़ितों के परिवारों, भारत और नेपाल की सरकारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र और पूर्ण स्वस्थ होने की कामना की.
फाइनेंसर और सपोर्टर पर कार्रवाई की मांग
UNSC ने जोर देते हुए कहा कि इस शर्मनाक आतंकवादी हमले के दोषियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जरूर सजा मिलनी चाहिए. परिषद ने सभी देशों से अनुरोध किया कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत सक्रिय सहयोग करें.
UNSC के सदस्यों ने फिर से दोहराया कि आतंकवाद का कोई भी रूप और कारण किसी भी परिस्थिति में जायज नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा कि आतंकवादी कृत्य, चाहे वे कहीं, किसी समय और किसी के द्वारा भी किए जाएं, आपराधिक और अस्वीकार्य हैं.
आतंक के खिलाफ कार्रवाई जरूरी
सुरक्षा परिषद ने जोर देकर कहा कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार, शरणार्थी और मानवीय कानूनों के अंतर्गत आतंकवाद से उत्पन्न खतरे का मुकाबला करना चाहिए.
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव
इस आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए उसके सैन्य अधिकारियों को निष्कासित कर दिया, सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और अटारी सीमा चौकी को बंद कर दिया.
वहीं पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई में भारतीय एयरलाइनों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया और नई दिल्ली के साथ व्यापार यहां तक कि तीसरे देशों के माध्यम से होने वाला व्यापार भी निलंबित कर दिया.
पाकिस्तान ने भारत के सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि जल प्रवाह को रोकने की कोई भी कोशिश 'युद्ध का कार्य' मानी जाएगी.


