चीन की तेल रिफाइनरी पर अमेरिका का प्रतिबंध, भारत को सतर्क रहने की जरूरत
अमेरिका ने चीन की एक प्रमुख तेल रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाकर ईरान पर दबाव बढ़ा दिया है. इस रिफाइनरी का इस्तेमाल हूतियों से जुड़े जहाजों द्वारा करीब 50 करोड़ डॉलर का ईरानी तेल खरीदने में किया जा रहा था. अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को इस कदम की घोषणा की, जिसके बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. चीन का कहना है कि अमेरिका का यह कदम दोनों देशों के बीच सामान्य व्यापार को प्रभावित कर रहा है.

अमेरिका ने चीन की एक तेल रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाकर ईरान पर दबाव बढ़ा दिया है. यह रिफाइनरी हूतियों से जुड़े जहाजों से लगभग 50 करोड़ डॉलर का ईरानी तेल खरीदती थी. अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को इस प्रतिबंध की घोषणा की. चीन ने इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका चीन और ईरान के बीच सामान्य व्यापार में हस्तक्षेप कर रहा है. अमेरिका की यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि वैश्विक ऊर्जा बाजार कितने जटिल भू-राजनीतिक संघर्षों से प्रभावित हैं. भारत को इस स्थिति को समझते हुए अपनी ऊर्जा नीति में सतर्कता बरतने की आवश्यकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर 'अधिकतम दबाव' बनाने की नीति फिर से लागू की है. इसके तहत कई लोगों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिनमें ईरान के पेट्रोलियम मंत्री भी शामिल हैं. अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने बताया कि यह प्रतिबंध ईरानी तेल की खरीद पर लागू किया गया है, जिसे 'शैडो फ्लीट' टैंकरों से चीन भेजा जाता था. इनमें हूती और ईरानी रक्षा मंत्रालय से जुड़े जहाज भी शामिल हैं. विदेश मंत्रालय ने एक चीनी तेल टर्मिनल पर भी प्रतिबंध लगाए हैं.
ईरान को आर्थिक रूप से कमजोर करने की योजना
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि ईरानी तेल की खरीद ईरानी शासन के लिए आर्थिक जीवन रेखा है, जो आतंकवाद को बढ़ावा देने का समर्थक है. अमेरिका का उद्देश्य ईरान के तेल निर्यात को शून्य करना है, ताकि ईरान के आंतरिक संकट को बढ़ाया जा सके और इसके आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सके.
भारत को रणनीतिक स्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारत को अपनी ऊर्जा नीति पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. अमेरिका का यह कदम दर्शाता है कि वह अपने प्रतिबंधों को लागू करने में कितनी सख्ती से काम कर रहा है, और चीन जैसी बड़ी आर्थिक ताकत के खिलाफ भी वह कोई संकोच नहीं करता. भारत को इस बदलाव को समझते हुए अपने तेल आयात स्रोतों में विविधता लाने और रिन्यूएबल ऊर्जा में निवेश करने की जरूरत है, ताकि आयात पर निर्भरता कम हो सके.