अमेरिका के पूर्व सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर ने यूं किया इंदिरा का अपमान, फिर पूर्व PM ने ऐसे लिया बदला... जानें पूरी कहानी

साल 1971 में अमेरिकी के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि निक्सन ने अपने ऑफिस के बाहर इंदिरा गांधी को 45 मिनट तक इंतजार करवाया था.  

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Edited By: Sachin

US Security Advisor Henry Kissinger: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर, एक राजनेता, सुपर डिप्लोमैट जितनी भारी शख्सियत रहे, उतने ही विवादित भी रहे. वह अमेरिकी शक्ति की धौंस दिखाकर अपना काम निकलवाने वाले कूटनीतिज्ञ थे. वहीं, साल 1971 की लड़ाई में उनका रुख भारत के खिलाफ था और पाकिस्तान को पूरी दुनिया में खुला समर्थन करता हुए दिख रहे थे. जब साल 2005 में व्हाइट हाउस से कुछ टेप रिकॉर्ड सार्वजनिक हुए तो उन्हें भारत और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ अपशब्द बोलते हुए देखा गया था. जिसके लिए उन्हें बाद में माफी भी मांगनी पड़ी थी. 

71 की लड़ाई में अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था 

1971 की लड़ाई में अमेरिका राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर पूरी तरीके से पाकिस्तान के साथ खड़े थे. एशियन सर्वे पत्रिका के अप्रैल 1980 अंक के ‘द टिल्ट पॉलिसी रिविज़िटेड’ शीर्षक लेख में लिखा गया कि विदेश, रक्षा और सीआईए अधिकारियों की अंतर्विभागीय बैठक में कई बड़े नेताओं के साथ हेनरी किसिंजर भी शामिल हुए थे. यह बैठक इस नतीजे पर पहुंची की वह पाकिस्तानी सेना की बर्बरियत का सहारा लेकर भारत सरकार के करीब आ जाए. 

अमेरिकी विदेश नीति के खिलाफ किसिंजर 

लेकिन बैठक से इतर किसिंजर ने भारत बनाम पाकिस्तान विवाद की ओर न देखकर बल्कि अमेरिका और सोवियत विवाद के बीच तुलना करते हुए अपना नजरिया स्पष्ट किया. वॉल्टर आइज़कसन हेनरी किसिंजर की जीवनी में लिखते हैं कि किसिंजर ने भारत और पाकिस्तान विवाद के नैतिकता को ताक पर रखकर यथार्थता पर जोर दिया. उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध को अमेरिका और सोवियत की ओर मोड़ दिया. जिसका सबसे बड़ा कारण रिचर्ड निक्सन का पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच गहरे विवाद लेकर सामने आया. 

निक्सन और किसिंजर ने किए इंदिरा के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल

साल 1971 में अमेरिकी के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि निक्सन ने अपने ऑफिस के बाहर इंदिरा गांधी को 45 मिनट तक इंतजार करवाया था.  कैथरीन फ्रैंक इंदिरा गांधी की जीवनी में लिखती हैं कि इंदिरा गांधी ने निक्सन का अपमान बहुत धैर्य के साथ लिया था. इसके बाद बैठक में इंदिरा ने पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया और अमेरिकी विदेश में पर कई सधे सवाल पूछे. निक्सन इस अपमान का बदला गुस्से का गूट पीकर रहना पड़ा. इसके बाद किसिंजर ने अपने राष्ट्रपति के प्रति तारीफों के पुल बांध और इंदिरा गांधी के लिए असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया.निक्सन ने अपनी पीट थपथपाते हुए किसिंजर की तारीफ में कहा कि हम असल मुद्दों पर एक इंच भी पीछे नहीं हटे. 

भारत की सोवियत से करीबी देख अमेरिका चिढ़ा 

इन सब विवादों के बीच किसिंजर ने कहा कि आपने देखा नहीं है कि हमने किस तरह से उन्हें दांतों तल चने चबवा दिए हैं. इस पर प्रेसिडेंट कहते हैं कि सही करा आप ज्यादा कड़ाई से पेश नहीं आए. क्योंकि नहीं तो उन्हें रोते हुए भारत जाना पड़ता. इसी बीच किसिंजर का पारा तब ज्यादा और बढ़ गया जब भारत ने सोवियत संघ के साथ करीबी बढ़ाना शुरु कर दिया और दोनों के बीच मित्रता को लेकर एक संधि पर हस्ताक्षर हुए. सोवियत संघ से दोस्ती कर अमेरिका की उस विदेश नीति का जवाब था, जब किसिंजर चुपचाप चीन की यात्रा पर पहुंच गए थे, जो उस वक्त पाकिस्तान का करीब दोस्त था. 

वो किसिंजर की चुपके से चीन की यात्रा 

चीन की यात्रा का जिक्र किसिंजर ने अपनी किताब  ‘द व्हाइट हाउज़ इयर्स’ में करते हुए लिखा कि ये निक्सन की किसी भी विदेशी नेता के साथ दुर्भाग्यपूर्ण और खराब मुलाकात थी. इंदिरा गांधी को इस बात से काफी हैरानी हुई कि निक्सन से ज्यादा किसिंजर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. 

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02 December 2023, 11:50 AM IST

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