अमेरिका में हिंदू धर्म पर पढ़ाई या प्रोपेगेंडा? छात्रों ने कोर्स पर उठाए सवाल, हिंदूफोबिया का लगाया आरोप 

ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी में पढ़ाए जा रहे कोर्स 'Lived Hindu Religion' को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. हिंदू-अमेरिकी कार्यकर्ता वसंत भट्ट ने आरोप लगाया कि यह कोर्स हिंदू धर्म के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित है और भारत की राजनीतिक स्थिति को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करता है. हालांकि, विश्वविद्यालय ने 'शैक्षणिक स्वतंत्रता' का हवाला देते हुए कहा कि कोर्स धार्मिक अध्ययन के अकादमिक मानकों पर आधारित है और इसमें विभिन्न धार्मिक परंपराओं का विश्लेषण किया जाता है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

 अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन में पढ़ाए जा रहे कोर्स 'लिव्ड हिंदू रिलिजन' को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. हिंदू-अमेरिकी कार्यकर्ता और राजनीतिक विज्ञान के छात्र वसंत भट्ट ने इस कोर्स को "हिंदूफोबिक" बताते हुए आरोप लगाया कि इसमें भारत की राजनीतिक स्थिति को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. इस विवाद के बाद यूनिवर्सिटी ने शैक्षणिक स्वतंत्रता (Academic Freedom) की दुहाई देते हुए कहा कि यह कोर्स धार्मिक अध्ययन के अकादमिक ढांचे के अंतर्गत आता है और इसमें किसी भी धर्म के खिलाफ पूर्वाग्रह नहीं रखा गया है.

यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि वह आमतौर पर व्यक्तिगत व्याख्यानों की समीक्षा नहीं करता लेकिन पाठ्यक्रम की गुणवत्ता और शैक्षणिक मानकों को सुनिश्चित करने के लिए उचित निरीक्षण करता है.

विवाद पर यूनिवर्सिटी की सफाई

यूनिवर्सिटी ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि धार्मिक अध्ययन में 'फंडामेंटलिज्म' (कट्टरता) जैसे विश्लेषणात्मक शब्दों का उपयोग सभी धर्मों को समझने के लिए किया जाता है, न कि किसी एक धर्म को निशाना बनाने के लिए. यह शब्द ईसाई, इस्लाम, बौद्ध और हिंदू धार्मिक आंदोलनों का अध्ययन करने के लिए प्रयुक्त होता है.

यूनिवर्सिटी ने यह भी कहा कि "धार्मिक अध्ययन में 'फंडामेंटलिज्म' का मतलब किसी धर्म के 'सच्चे' या मूल स्वरूप को बचाने की प्रवृत्ति से है, जहां शास्त्रों, मतों या विचारधाराओं की सख्त और ऐतिहासिक रूप से अपरिवर्तनीय व्याख्या की जाती है. इसे समझना किसी धर्म की आलोचना करना नहीं, बल्कि उनके विकास को समझने का एक माध्यम है."

भारत की राजनीति को लेकर विवादित बातें

वसंत भट्ट ने इस कोर्स के सिलेबस के एक अंश का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि इसमें 'हिंदू' शब्द को हालिया निर्माण बताया गया है और कहा गया है कि यह शास्त्रों में नहीं मिलता. इसके अलावा, सिलेबस के एक हिस्से में लिखा है. "हिंदुत्व या 'हिंदू-नेस' एक शब्द है जिसे हिंदू राष्ट्रवादी, जो मानते हैं कि हिंदू धर्म भारत का आधिकारिक धर्म होना चाहिए, अपने धर्म को नाम देने और दूसरों, विशेष रूप से इस्लाम, को नीचा दिखाने के लिए उपयोग करते हैं."

प्रोफेसर की सफाई

कोर्स पढ़ाने वाले प्रोफेसर एरोन माइकल उल्रे ने कहा कि मीडिया में जो उद्धरण दिखाए जा रहे हैं, वे संदर्भ से हटाकर पेश किए गए हैं और कोर्स की सही प्रकृति को प्रतिबिंबित नहीं करते. "मैंने कभी नहीं कहा कि हिंदू धर्म एक औपनिवेशिक निर्माण या दमनकारी प्रणाली है. मैंने कभी हिंदू धर्म को किसी 'निश्चित' रूप में परिभाषित नहीं किया."

हिंदू धर्म पर कोर्स को लेकर विवाद क्यों?

यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन का यह कोर्स पूरी तरह ऑनलाइन संचालित होता है और इसे प्रोफेसर एरोन माइकल उल्रे साप्ताहिक रूप से पढ़ाते हैं. यूनिवर्सिटी ने कहा कि यह कोर्स हिंदू धर्म के ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों को समझने के लिए अकादमिक दृष्टिकोण अपनाता है, और इसका उद्देश्य किसी भी धर्म की आलोचना करना नहीं है.

क्या यूनिवर्सिटी कोर्स में करेगी बदलाव?

आपको बता दें कि यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन द्वारा दी गई सफाई के बावजूद हिंदू संगठनों और कार्यकर्ताओं ने इस कोर्स की भाषा पर सवाल उठाए हैं. अमेरिका और भारत के हिंदू समुदाय इस विवाद को गंभीरता से ले रहे हैं और इसे हिंदू धर्म को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास मान रहे हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यूनिवर्सिटी इस कोर्स में कोई बदलाव करेगी या अपने वर्तमान स्टैंड पर कायम रहेगी.

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29 March 2025, 11:25 AM IST

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