Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर बीते दिन हुई हिंसा ने सरकार का तख्तापलट और शेख हसीना को प्राधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया. ऐसे में अब देश में नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली नई अंतरिम सरकार है. लेकिन अब भी पड़ोसी देश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार नहीं रुक रहा है. इस बीच आज यानी शनिवार को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले के खिलाफ बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और लंदन में संसद भवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हम यहां इसलिए इकट्ठा हुए हैं क्योंकि पिछले 5-6 दिनों से बांग्लादेश में लोग हमारे घरों को जला रहे हैं. लोग हिंदुओं, ईसाइयों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कर रहे हैं. हमारे भाइयों और माताओं को मारा जा रहा है. हम बांग्लादेश के लिए न्याय चाहते हैं. हम बांग्लादेश के नागरिक हैं और हम अपने देश में शांतिपूर्वक रहना चाहते हैं.'
बांग्लादेश में कोटा का विरोध शेख हसीना के खिलाफ करते-करते हिंदुओं के खिलाफ हो गया. 2 महीने से जारी प्रदर्शन के बाद तख्तापलट हो गया और प्रदर्शनकारियों की जीत हो गई. देश में अब मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है. हालांकि, अब भी हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार और मंदिरों को तोड़ने के मामले कम नहीं हो रहे हैं. इस बीच अब हिंदू अपने अधिकार और सुरक्षा के लिए आवाज उठाने लगे हैं. बांग्लादेश में यूनुस सरकार के खिलाफ हिंदू सड़क पर आ गए हैं और अपनी सुरक्षा की मांग करते हुए कह रहे हैं कि ये देश किसी के बाप का नहीं है.
बता दें, उग्र प्रदर्शनों में करीब 300 लोगों की हत्या हुई. 2 महीने तक चले इस आंदोलन के कारण शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा. उनको देश भी छोड़ना पड़ा. इसके बाद सेना ने सरकार अपने हाथ में लिया और अंतरिम सरकार का गठन किया. इसकी जिम्मेदारी नोबेल विजेता मो. यूनुस को दी गई. उनके सहायकों में 2 हिंदुओं को भी शामिल किया गया. अब देश में थोड़ी स्थिरता आने पर हिंदू अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं.
शेख हसीना के इस्तीफा देने और 5 अगस्त को देश छोड़कर जाने के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ गए हैं. इसके खिलाफ सैकड़ों हिंदू शनिवार को ढाका में विरोध करने उतर गए. देशभर से वहां पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि यह देश सभी का है. सरकार को हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए. प्रदर्शन में ये नारा भी लगाया गया कि देश किसी के बाप का नही है.
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा कि ये देश हमारा भी है. हमने इसके लिए खून दिया है. आगे भी अगर जरूरत पड़ी तो हम फिर खून देंगे लेकिन हम किसी भी हाल में बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे. सिविल सोसाइटी हमारे हालातों पर मूकदर्शक बनी हुई है. हम अपने घरों और धार्मिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा चाहते है. हमारे लिए एक मंत्रालय और अल्पसंख्यक सुरक्षा आयोग का गठन किया जाए और संसद में 10 फीसदी सीटें रिजर्व की जाए.
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद ने बताया कि शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद 64 जिलों में से 52 में अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न की 205 मामले सामने आए हैं. इसे लेकर उन्होंने मुहम्मद यूनुस को पत्र भी लिखा है. इसमें इस बात की भी जिक्र किया गया है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाने पर रखने को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई है.
First Updated : Saturday, 10 August 2024